Wolves in Bahraich: साल भर बाद एक बार फिर बहराइच में लंगड़े भेड़िए का खौफ, मासूमों को बना रहा निशाना!

बहराइच, यूपी: गांव में जब रात की नींद गहरी हो, तब कोई मासूम अपने घर के आंगन से गायब हो जाए — ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक डरावनी सच्चाई है जो बहराइच के लोगों को एक बार फिर झकझोर गई है। सोमवार रात गदामार कला के गढ़ीपुरवा गांव में दो साल का आयुष अपनी मां के साथ बरामदे में सो रहा था। करीब 1 से 2 बजे के बीच, एक भेड़िया उसे उठाकर एक किलोमीटर दूर गन्ने के खेत तक ले गया और वहां उसका शिकार बना लिया।
तीन भेड़ियों ने मिलकर बनाया मासूम को शिकार
जब गांव के लोग शोर सुनकर दौड़े और खेत की ओर पहुंचे, तो उन्होंने जो देखा, उससे सबकी रूह कांप गई। वहां तीन भेड़िए — जिनमें से दो बच्चे और एक लंगड़ा भेड़िया था — आयुष के शव को खा रहे थे। इसी लंगड़े भेड़िए का नाम बीते साल भी इलाके में दहशत का दूसरा नाम बन गया था। ग्रामीणों का दावा है कि यही वही ‘लंगड़ा भेड़िया’ है, जो पिछले साल कई बच्चों को अपना शिकार बना चुका है।
लंगड़े भेड़िए की वापसी से दहशत दोगुनी
महसी क्षेत्र में जून से अक्टूबर के बीच भेड़िए का आतंक पिछले साल चरम पर था। अब एक बार फिर वही कहानी शुरू होती नजर आ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यह वही लंगड़ा भेड़िया है, जो पहले भी जाल फाड़कर भाग चुका है। ड्रोन कैमरे से इसकी मौजूदगी की पुष्टि भी हुई, लेकिन विभाग इसे सियार बताता रहा।
वन विभाग की लापरवाही या सिस्टम की कमजोरी?
पिछले साल दो सितंबर को वन विभाग ने केवल 8 मौतों को भेड़िए से जोड़कर आधिकारिक पत्र जारी किया था, जबकि ग्रामीणों के अनुसार यह संख्या कहीं अधिक थी। करीब 80 लोग घायल हुए थे। पांच भेड़ियों को पकड़ा गया, लेकिन कथित ‘लंगड़ा भेड़िया’ तब भी पकड़ से बाहर था — और आज भी वही हाल है।
शिकार बने सिर्फ मासूम: आंकड़े चीख-चीख कर कहते हैं कहानी
इन हमलों में जिनकी जान गई, उनमें लगभग सभी मासूम बच्चे थे। 17 जुलाई को मक्कापुरवा में 1 साल के अख्तर रजा का बेटा, 2 सितंबर को गठेरी में 2.5 साल की अंजली, 10 मार् को (गैर-आधिकारिक) मिश्रनपुरवा में 3 साल की सायरा, 23 मार्च को नयापुरवा से दो साल का छोटू.
'मैंने खुद देखा उसे खाते हुए': प्रत्यक्षदर्शियों की रूह कंपा देने वाली गवाही
गढ़ीपुरवा के रहने वाले हरीश चंद्र राव कहते हैं, “मैंने खुद देखा उस भेड़िए को आयुष का शव खाते हुए।” शिव दुलारी बताती हैं, “मेरे बेटों ने उसे घेरा था, सबने देखा। लेकिन वो भाग निकला।” आयुष के माता-पिता, खुशबू और प्रमोद, अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। वे सिर्फ यही चाहते हैं — "जिसने हमारा बच्चा छीना, उसे पकड़ा जाए, सज़ा मिले…"
भेड़िए का नया कुटुंब, नई चिंता
ग्रामीणों का दावा है कि इस बार लंगड़ा भेड़िया अकेला नहीं है। उसके साथ दो और भेड़िए दिखाई दे रहे हैं। इसका मतलब है कि अब खतरा पहले से दोगुना है — और अगर समय रहते एक्शन नहीं हुआ, तो परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
अब किसकी बारी?
नयापुरवा, मक्कापुरवा, नक्वा, कौलेला, सिंगिया नसीरपुर, गडेरिया, कुम्हारनपुरवा जैसे गांवों में लोगों की रातें अब बेचैन हैं। वे सोते वक्त बच्चों को गोद में लेकर बैठते हैं, दरवाज़ों की कुण्डियाँ तीन बार चेक करते हैं और हर आहट पर चौंक जाते हैं। क्योंकि उन्हें नहीं पता — अगली बार किसका बच्चा अगला शिकार बनेगा।