UP NEWS: राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ में राजपूत समाज का उग्र प्रदर्शन, सपा सांसद से माफी की मांग

UP NEWS: राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ में राज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को राजपूत समाज ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के साथ-साथ कई अन्य राजपूत संगठन भी शामिल हुए। यह विरोध समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर किया गया, जिसने राजपूत समाज की भावनाओं को आहत किया है।


प्रदर्शन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भारी संख्या में लोग लखनऊ के 1090 चौराहे पर एकत्र हुए। प्रदर्शनकारियों ने रामजी लाल सुमन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च किया। उनका कहना था कि जब तक सांसद सुमन सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। उन्होंने साफ किया कि रामजी लाल सुमन को राणा सांगा की प्रतिमा के सामने जाकर 11 अप्रैल तक माफी मांगनी चाहिए, वरना आंदोलन और तेज़ होगा।


करीब एक घंटे तक सड़क पर हंगामे जैसी स्थिति बनी रही, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और उन्हें ईको गार्डन भेज दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान अखंड प्रताप नामक प्रदर्शनकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह केवल किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी राजपूत जाति के सम्मान का मामला है।

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यह विवाद 21 मार्च को राज्यसभा में उस समय शुरू हुआ जब सांसद रामजी लाल सुमन ने गृह मंत्रालय के कामकाज पर बहस के दौरान राणा सांगा को लेकर कथित विवादित टिप्पणी की। इसके बाद करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आगरा में सांसद सुमन के घर पर तोड़फोड़ की थी। इस घटना की निंदा समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने की, साथ ही उन्होंने भाजपा सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर समाजवादी पार्टी के किसी सांसद के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिम्मेदार होंगे।


राणा सांगा, जिनका मूल नाम महाराणा संग्राम सिंह था, 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक रहे। उनका जीवन साहस और वीरता की मिसाल है। 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर से लोहा लेते हुए उन्हें 80 से अधिक घाव लगे थे, फिर भी उन्होंने युद्ध का मैदान नहीं छोड़ा और अंतिम सांस तक वीरता से लड़े। उनका नाम आज भी भारतीय इतिहास में अदम्य साहस और सम्मान के प्रतीक के रूप में लिया जाता है।