रसगुल्ले की 'लूट' ने नप गई महिला अफसर, ढाई करोड़ स्वाहा, फिर भी भूखे रहे बाराती, जानें पूरा मामला

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आयोजित समारोह में भोजन की लूट और भारी अव्यवस्था के चलते शासन ने बड़ा एक्शन लिया है। खाने और उपहारों में मिली खामियों के बाद जिला समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह को पद से हटा दिया गया है।

रसगुल्ले की 'लूट' ने नप गई महिला अफसर, ढाई करोड़ स्वाहा, फिर

Kanpur - कानपुर में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में हुई भारी फजीहत का खामियाजा जिला समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह को भुगतना पड़ा है। शासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाकर समाज कल्याण निदेशालय, लखनऊ से संबद्ध कर दिया है। अपर मुख्य सचिव एल वेंकटेश्वर लू ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। अब उनकी जगह संभल में तैनात शिवम सागर को कानपुर भेजकर जिम्मेदारी सौंपी गई है।

562 जोड़ों का हुआ सामूहिक विवाह

यह कार्रवाई सीएसए (CSA) परिसर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुए आयोजन में मची अफरातफरी के बाद हुई। यहां 562 जोड़ों के विवाह समारोह के दौरान खाने की भारी कमी हो गई थी, जिससे वहां लूट जैसी स्थिति बन गई। हालात ऐसे थे कि किसी को रोटी मिली तो सब्जी नदारद थी। रसगुल्लों के लिए सबसे ज्यादा मारामारी हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिससे प्रशासन की काफी किरकिरी हुई।

450 जोड़ों के परिवार के लिए खाने की व्यवस्था

अव्यवस्थाओं की पोल तब खुली जब ठेकेदार ने बताया कि भोजन की व्यवस्था केवल 450 जोड़ों और उनके परिजनों के लिए ही की गई थी, जबकि संख्या इससे अधिक थी। खाने के अलावा जोड़ों को दिए जाने वाले उपहारों की गुणवत्ता में भी खामियां पाई गईं। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) के निर्देश पर एडीएम सिटी के नेतृत्व में एक कमेटी मामले की जांच कर रही है। शासन ने घटना के दो दिन बाद ही इन खामियों का संज्ञान लेते हुए अधिकारी को हटाने का फैसला लिया।

ढाई करोड़ का बजट

हैरानी की बात यह है कि इस आयोजन में लगभग ढाई करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी इतनी बदइंतजामी रही। दो फर्मों को 15 हजार और 24.50 लाख के टेंडर दिए गए थे, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त रही। इसके बावजूद टेंडर प्रक्रिया की जांच नहीं बैठाई गई और न ही संबंधित फर्मों के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज कराई गई। फिलहाल अधिकारी सिर्फ अव्यवस्था की जांच कराकर खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं, जबकि जोड़ों को खुलेआम परेशानी झेलनी पड़ी।

टेंडर में हुई गड़बड़ी

विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 959 में से 635 जोड़ों का विवाह होना था, लेकिन अंतिम रूप से 562 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। आयोजन की जिम्मेदारी ई-टेंडर के जरिए दो फर्मों को दी गई थी। 'नेशनल कोऑपरेटिव कंस्ट्रक्शन फेडरेशन लिमिटेड' (प्रखर सिंह की फर्म) को उपहार वितरण का जिम्मा मिला था, जबकि 'नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर प्रोक्योरमेंट प्रोसेसिंग एंड रिटेलिंग कोऑपरेटिव ऑफ इंडिया लिमिटेड' (वीके निगम की फर्म) को टेंट और भोजन की व्यवस्था देखनी थी।

हटाई गईं जिला समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले छात्रवृत्ति फॉरवर्ड न करने की लापरवाही पर भी डीएम ने उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति शासन से की थी। वर्तमान मामले में एडीएम सिटी डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि अभी सिर्फ अव्यवस्था और सामान की जांच हो रही है, टेंडर प्रक्रिया जांच के दायरे में नहीं है। जांच लगभग पूरी हो चुकी है और सोमवार तक रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है।