प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आसिम आजमी द्वारा औरंगजेब को एक अच्छा शासक बताने के बाद विवाद और बढ़ गया है। इस बयान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं, खासकर धार्मिक और राजनीतिक नेताओं की तरफ से। संतों के सबसे बड़े संगठन, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट, हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने इस पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने औरंगजेब को क्रूर और अन्यायी बताते हुए उसके गुणगान करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
श्रीमहंत रवींद्र पुरी की कड़ी प्रतिक्रिया
श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि औरंगजेब भारत में आक्रांता था, जिसने इस भूमि को लूटने और सनातन धर्मावलंबियों के खिलाफ हिंसा करने के लिए यहाँ कदम रखा। उनका आरोप है कि उसने तलवार के बल पर लोगों का मतांतरण कराया और जो मतांतरण नहीं करते थे, उन्हें प्रताड़ित किया। उन्होंने यह भी कहा कि मुगलों के शासन में देशवासियों के साथ अन्याय हुआ और वे केवल भारतीय राजाओं को हराकर सत्ता में आए।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मुगलों और उनके शासन को महान बताने वाली पाठ्य पुस्तकों को हटाना चाहिए। उनका मानना है कि वामपंथी इतिहासकारों ने जानबूझकर असंस्कारी और क्रूर मुगलों को महान बताया और भारतीय वीर राजाओं और नायकों का अपमान किया।
संतों की अपील और सच्चाई की मांग
श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने सरकार से यह अपील की है कि इतिहास को नए सिरे से लिखा जाए और सच्चाई को सभी के सामने लाया जाए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दलों के नेता अब मुगलों को महान बताने में लगे हैं। उन्होंने उन नेताओं के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की ताकि भविष्य में कोई और इस तरह का बयान न दे सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कड़ा रुख
इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कड़ा रुख अपनाया है। विधान परिषद में बजट पर चर्चा के दौरान, योगी ने बिना नाम लिए अबू आसिम आजमी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं को सपा से तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। योगी ने यह भी कहा कि अगर कोई छत्रपति शिवाजी की परंपरा का अपमान करता है और औरंगजेब को नायक मानता है, तो उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं है।
राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बढ़ता विवाद
यह विवाद भारतीय समाज में गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विभाजन को उजागर करता है। जहाँ कुछ वर्ग मुगलों को महान मानते हैं और उनके शासन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, वहीं अन्य वर्ग उन्हें आक्रांता और उत्पीड़क मानते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और अन्य राजनीतिक दल किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। क्या यह बयान आगे चलकर राजनीति में और भी विवाद उत्पन्न करेगा, या फिर यह मुद्दा जल्द ही शांत हो जाएगा?