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UP CRIME - खुद को श्रीकृष्ण की राधा बतानेवाले पूर्व आईजी से हुई 381 करोड़ की ठगी, बताया कैसे कमाए थे इतने रुपए

UP CRIME - श्रीकृष्ण की राधा बनने के लिए आईजी की नौकरी से इस्तीफा दे चुके IPS डीके पांडा से 381 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है. जिसकी शिकायत उन्होंने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज कराई है। पांडा ने यह भी बताया कि पैसे कैसे कमाए थे।

UP CRIME - खुद को श्रीकृष्ण की राधा बतानेवाले पूर्व आईजी से हुई 381 करोड़ की ठगी, बताया कैसे कमाए थे इतने रुपए
पूर्व आईपीएस से 381 करोड़ की ठगी।- फोटो : NEWS4NATION

PRAYAGRAJ - लगभग दो दशक पहले खुद को श्रीकृष्ण की राधा बतानेवाले यूपी पुलिस में आईजी डीके पांडा फिर से चर्चा में हैं। इस बार चर्चा का कारण श्रीष्ण के लिए भक्ति नहीं, बल्कि उनके साथ हुई 381 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी है। जिसकी प्राथमिकी उन्होंने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज कराई है। 

पांडा ने दावा किया है कि ऑनलाइन ट्रेडिंग से उन्होंने ये पैसे कमाए थे जो अब तक उनके बैंक खाते में नहीं आए हैं। पांडा का दावा है कि 381 करोड़ रुपये लंदन की निवेश कंपनी में उनकी लाभ की राशि है। प्रयागराज के प्रीतम नगर में रहने वाले पांडा ने तहरीर में बताया है कि कुछ समय पहले उनकी राहुल नामक युवक से ऑनलाइन पहचान हुई थी। उसी के सुझाव पर उन्होंने लंदन की फिन्नीएक्स ग्रुप डॉट कॉम में रुपये निवेश किए थे। इसके बदले उन्हें 381 करोड़ रुपये का लाभ दिखाया गया।

राजस्थान के युवक ने मांगे 8 लाख रुपए

पांडा के मुताबिक जब वे रुपये निकालने बैंक गए तो पता चला कि पैसा खाते में आया ही नहीं है। इसकी शिकायत करने पर 25 अक्तूबर की दोपहर आरव शर्मा नामक व्यक्ति ने वाट्सएप कॉल किया। उसने खुद को राजस्थान का मूल निवासी और साइसेक साइप्रस में कार्यरत बताया। उसने रुपये की निकासी के लिए टैक्स, ट्रांजेक्शन फीस आदि के नाम पर 8 लाख रुपये जमा कराने की बात कही।

टेरर फंडिंग में पांडा को फंसाने की मिली धमकी

जब डीके पांडा ने पैसे देने से मना किया तो आरोपी ने अपशब्द कहे और पांडा का आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में करने और उनकी कमाई के रुपये आतंकियों को देकर उन्हें फंसाने की धमकी दी। 

जिसके बाद डीके पांडा ने मुकदमा दर्ज कराते हुए मामले की सीबीआई और एनआईए से जांच कराने की मांग की है। धूमनगंज थाना प्रभारी अमरनाथ राय ने बताया कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जा रही है।

1971 के आईपीएस रहे हैं पांडा

ओडिशा के मूल निवासी डीके पांडा पूर्व में भी चर्चा में रह चुके हैं। 1971 बैच के आईपीएस पांडा 2005 में आईजी के पद पर थे। वे सोलह श्रृंगार कर ड्यूटी पर गए थे। उन्होंने खुद को दूसरी राधा घोषित कर दिया था। इससे पुलिस विभाग की खूब किरकिरी हुई थी। तब उन्होंने रिटायर होने के दो साल पहले 2005 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। फिर 2015 पांडा भगवान कृष्ण के सपने के आधार पर दूसरी राधा के रूप को त्याग दिया और कृष्णानंद बन गए।



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