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UP NEWS: विकास का रोलमॉडल बनकर देश-दुनिया में रामनगरी अयोध्या ने छोड़ी छाप

UP NEWS: विकास का रोलमॉडल बनकर देश-दुनिया में रामनगरी अयोध्या ने छोड़ी छाप

अयोध्या: 2017 के बाद अयोध्या में विकास के चक्के ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की रामनगरी विश्व के पटल पर छा गई है। प्रदेश की योगी सरकार ने रामलला को भव्य मंदिर में विराजमान कराने से ठीक पहले विकास कार्यों के लिए खजाना खोल दिया। 32 हजार करोड़ की परियोजनाओं को न सिर्फ धरातल पर उतारा, बल्कि देश-दुनिया को विकास के प्रतिमान गढ़ने का रास्ता भी दिखाया। आज यहां पहुंचने वाला हर एक श्रद्धालु राम का नाम लेने के बाद योगी सरकार के कार्यों की तारीफ करते नहीं थकता है। नेता हों या अभिनेता, बिजनेसमैन हों या संन्यासी। सभी का सिर्फ यही कहना है कि अयोध्या जैसी नगरी को संवारने का काम मोदी और योगी सरकार की बदौलत ही हो सका है। 2017 में प्रदेश की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले अपने आराध्य की नगरी अयोध्या को संवारने का कार्य किया। भले ही राम मंदिर का फैसला 2019 में आया हो, लेकिन उससे पहले ही मुख्यमंत्री ने अयोध्या के विकास को रफ्तार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। सड़क, बिजली-पानी, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में यहां चहुंमुखी तरक्की हुई। नतीजा यह है अगर सिर्फ सड़कों की ही बात की जाए तो बड़े-बड़े महानगर भी अयोध्या को टक्कर नहीं दे सकते। यहां मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य आज भी अनवरत जारी है। विकास के पथ पर बढ़ रही अयोध्या पूरे विश्व के श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। 


दिल्ली के राजपथ की तरह बना अयोध्या का रामपथ

योगी सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में अयोध्या की सड़कों का चौड़ीकरण रहा है। यहां 13 किमी में सहादतगंज से नया घाट तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया गया। लगभग 844 करोड़ रुपए से तैयार हुए मार्ग को रामपथ का नाम दिया गया। यह मार्ग दिल्ली के राजपथ से प्रेरित होकर दिया गया था। इनके अलावा चार और पथ साकेत पेट्रोल पम्प से लता चौक तक धर्मपथ, राम मंदिर में प्रवेश के लिए जन्मभूमि पथ व श्रृंगार हाट से हनुमानगढ़ी जाने वाले मार्ग को भक्ति पथ के रूप में बनाया गया। इन पथों के निर्माण पर भी करोड़ो की लागत आई है। 8 नए ओवरब्रिज भी अयोध्या में बनाए जा रहे हैं।  2017 के पहले की स्थितिः अतिक्रमण के कारण अयोध्या की सड़कें गलियों में परिवर्तित हो गई थीं। इनमें बड़े-बड़े गड्ढे थे जो दुर्घटना का कारण बनते थे। अतिक्रमण के कारण तीर्थयात्रियों को धाम तक जाने के लिए धक्का-मुक्की करते हुए आगे बढ़ना पड़ता था। 2017 के बाद की स्थितिः व्यापक अतिक्रमण को हटाने के लिए चौड़ीकरण प्रक्रिया इस्तेमाल में लाई गई। गलियों को सिंगल लेन व प्रमुख मार्गों को डबल व फोर लेन बनाया गया। 


7.9 करोड़ में बना लता चौक लोगों को कर रहा आकर्षित

योगी सरकार के प्रयास से रामनगरी में स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर चौक का 7.9 करोड में निर्माण कराया गया है। नया घाट चौराहे पर 10.8 मीटर लंबी व 12 मीटर ऊंची वीणा लोगों का मन मोह रही है। राम की पैड़ी के निकट इस चौराहे पर पहुंचने वाला हर एक शख्स तस्वीर खिंचाने से खुद को रोक नहीं पाता है। इसके लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद यहां सेल्फी ली थी। 2017 के पहले की स्थितिः नयाघाट चौराहे पर बेतरतीब चलते यातायात के कारण अक्सर यहां घंटों लंबा जाम लग जाता था। भीड़ की स्थिति में तीर्थयात्रियों को अक्सर यहीं से हनुमानगढ़ी के लिए पैदल जाना पड़ता था। 2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या के सबसे बड़े टूरिस्ट अट्रैक्शंस में लता चौक शामिल है। यहां से अयोध्या धाम के विभिन्न कोनों में यात्रा करने के लिए ई-बस, ई-कार्ट व ई-व्हिकल जीरो कार्बन एमिशन के साथ सुगम यात्रा सुनिश्चित करते हैं।


ई-बस की सुविधा के स्थानीय निवासी भी हुए कायल

रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने से पहले ही प्रदेश सरकार ने अयोध्या की सड़कों और ई बसेज की सुविधा शुरू कर दी। लगभग 20 बसें आज भी सहादतगंज से होते हुए राममंदिर नया घाट व कटरा की तरफ चल रही है। इससे न सिर्फ रोडवेज के राजस्व में इजाफा हुआ है बल्कि स्थानीय लोगों में भी खुशी की लहर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कम पैसे में राम मंदिर तक पहुंच रहे हैं। 2017 से पहले की स्थितिः पहले ई-बसें तो छोड़िए, साधारण बसें भी अयोध्या धाम के अंदर दुर्लभ थीं। परिवहन का सुलभ माध्यम विक्रम और ऑटो से होता था। धाम आने के लिए अयोध्या बाइपास पर या फैजाबाद बस अड्डे उतरना पड़ता था।  2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या धाम में नए बस अड्डे का निर्माण हो चुका है। अयोध्या धाम से 25 लॉन्ग रेंज ई-बसें गोरखपुर, लखनऊ, प्रयागराज समेत विभिन्न जनपदों से संचालित हैं। तीर्थ क्षेत्र में वातानुकूलित ई-बसों तीर्थयात्रियों व आम लोगों की यात्रा का माध्यम बन गई हैं।


पर्यटन की दृष्टि से समदा झील, गुप्तार घाट व सूर्यकुंड का जीर्णोद्धार

अयोध्या में पर्यटन को बढ़ाने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है। भगवान राम के साकेतवास स्थल गुप्तारघाट घाट पर बड़ा डेवलपमेन्ट हुआ है। यहां कभी लोग शाम के समय जाना सुरक्षित नहीं समझते थे। वहां आज देर रात तक लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। पक्के घाट-पार्क व डेकोरेटिव लाइट लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। इसी क्रम में दर्शननगर स्थित भगवान सूर्य के मंदिर सूर्यकुंड को भी निखारा गया। आलम यह है कि रात के समय वहां लोग फाउंटेन शो देखने पहुंच रहे हैं। इसी कारण सूर्यकुंड राम मंदिर के बाद दूसरा बड़ा पर्यटन स्थल बन गया है। सोहावल की समदा झील को भी पर्यटन स्थल बनाने का कार्य किया जा रहा है।  2017 से पहले की स्थितिः गुप्तार घाट के मंदिर अपेक्षा के कारण जर्जर हो चुके थे। घाट पर श्रद्धालु कम मवेशी ज्यादा दिखते थे। सूर्यकुंड समेत तमाम कुंडों की स्थिति भी दयनीय थी।  2017 के बाद की स्थितिः हनुमानगढ़ी व जन्मभूमि मंदिर के बाद गुप्तार घाट व सूर्यकुंड सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरे हैं। गुप्तार घाट पर वॉटर एडवेंचर स्पोर्ट्स व वॉटर मेट्रो का संचालन होता है। सूर्य कुंड का मेकओवर पूरी दुनिया से पर्यटकों को आकर्षित करता है। भगवान राम से जुड़े सभी 108 प्राचीन कुंडों का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।


स्वास्थ्य सुविधाओं में हुआ इजाफा

प्रदेश सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा इजाफा हुआ है। दर्शननगर स्थित राजर्षि दशरथ मेडिकल कालेज में 195 करोड से 200 बेड के चिकित्सीय भवन का लोकार्पण हुआ है। इसके साथ ही उसमें तमाम आधुनिक जांचों को विस्तार मिला है। 2017 के पहले की स्थितिः गंभीर रोगियों, दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को अयोध्या धाम से फैजाबाद और फिर लखनऊ लेकर भागना पड़ता था। 2017 के बाद की स्थितिः जिला और महिला अस्पताल के अलावा मेडिकल कालेज में 24 घंटे चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। मेडिकल कॉलेज का कायाकल्प हुआ। जल्द ही एक मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल खोलने की योजना पर भी कार्य चल रहा है।


बनी मल्टी लेवल पार्किंग, यातायात हुआ सुगम

अयोध्या में राम मंदिर बनने से पहले ही यहां आने वाले पर्यटकों के वाहनों को खड़ा करने का इंतजाम किया गया है। इसी क्रम में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण हुआ है। अमानीगंज और टेढ़ी बाजार में आधुनिक मल्टी लेवल पार्किंग बनाई गई है। इसमें नीचे वाहन पार्क होते है, जबकि ऊपर के मंजिलों में दुकानें व रेस्टोरेंट इत्यादि हैं। 

2017 के पहले की स्थितिः वाहन खड़ा करने की असुविधा के कारण अकसर तीर्थयात्रियों को लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ता था। अवैध पार्किंग के सिवा सीमित विकल्प ही बचते थे। 2017 के बाद की स्थितिः यातयात को सुगम बनाने के लिए सात करोड़ की लागत से आईटीएमएस की स्थापना कराई गई। शहर के 21 चौराहों/तिराहों पर सिग्नल लाइट के अलावा आधुनिक कैमरे भी लगाए गए हैं। मॉडर्न मल्टीलेवल पार्किंग कॉम्पलेक्स का निर्माण हुआ और भविष्य की जरूरतों के अनुसार अन्य पार्किंग स्थलों के निर्माण की प्रक्रिया को भी गति दी जा रही है।


पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर रहा है पूरा फोकस

मोदी और योगी सरकार की देन है कि यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दिशा में बड़े काम हुए हैं। करोड़ों की लागत से अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का भव्य निर्माण कराया गया। यहां से वंदे भारत व अन्य बड़े महानगरों को जोड़ने के लिए ट्रेनों की शुरुआत कराई गई। महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ने अयोध्या की दिशा ही बदल दी। 30 दिसम्बर को लोकार्पण के बाद यहां से देश की कई एयरलाइन्स कंपनियों ने अपने विमानों की शुरुआत कर दी। आज दूर दराज से आने वाले लोग हवाई मार्ग को प्राथमिकता दे रहे हैं।

2017 के पहले की स्थितिः अयोध्या स्टेशन पर इक्का-दुक्का ट्रेनें ही रुकती थीं। ज्यादातर ट्रेनें फैजाबाद होकर जाती थीं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनना तो कल्पना के परे था।

2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग के जरिए जुड़ चुका है। स्टेट ऑफ द आर्ट अयोध्या धाम स्टेशन लोकार्पित हो चुका है। महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट हवाई मार्ग से भी अयोध्या को देश-दुनिया को जोड़ने का  माध्यम बन रहा है।


बिजली व्यवस्था और जल को मिला बल, बन रहा ट्रीटमेंट प्लांट

अयोध्या धाम व फैज़ाबाद के मुख्य मार्गों के सभी बिजली की लाइन को अंदर ग्राउंड कर दिया गया है। अब यहां सड़कों पर लटकते तार कम ही दिखते हैं। पेयजल योजना फेज-3 से पीने के पानी की सुविधा को बल मिल गया। अब नगर निगम उच्च क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगवा रहा है, ताकि गंदे पानी को साफ कर पीने योग्य बनाया जा सके। इसमें 15 नालों का पानी ट्रीट होगा। 2017 के पहले की स्थितिः अपर्याप्त विद्युत व जलापूर्ति अयोध्या की नियति बन चुके थे। नालियों में गंदगी, सड़कों पर बिखरा कूड़े के कारण संक्रामक व मच्छर जनित रोगों की चपेट में लोग आते थे। 2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या धाम अब प्रदेश की सबसे साफ और व्यवस्थित नगरी में से एक है। यहां कूड़ा निस्तारण की प्रणाली विकसित की गई है। 24 घंटे विद्युत आपूर्ति है और हर घर नल से शुद्ध जल की व्यवस्था योगी सरकार ने की है। मच्छरजनित व संक्रामक रोगों के रोकथाम में भी कमी आई है।


सोलर पावर प्लांट से बिजली बनने लगी

अयोध्या में रामपुर हरवारा के सरायरासी गांव में स्थापित सोलर पावर प्लांट से अब बिजली का उत्पादन होने लगा है। अयोध्या धाम से निकट 165 एकड़ में बने इस सोलर पावर प्लांट पर एनटीपीसी ने काम शुरू कर दिया है। फिलहाल यहां से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण यूपीनेडा के इस परियोजना से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।मेगावाट मतलब कुल तीन लाख यूनिट बिजली होगी जो प्रतिदिन हम सेंट्रल ग्रिड को भेज पाएंगे। शहर के सभी प्रमुख मार्ग सौर ऊर्जा युक्त फैंसी विक्टोरियन आर्क थीम्ड लैंप्स व एलईडी लाइट्स से युक्त हैं। अयोध्या को सोलर सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है और पीएम सूर्यघर योजना समेत तमाम परियोजनाएं यहां क्रियान्वित हैं।


2017 के पहले की स्थितिः सौर उर्जा के माध्यमों की अयोध्या धाम में उपस्थिति नहीं थी। किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि भविष्य में अयोध्या प्रदेश के सबसे बड़े सोलर हब के तौर पर जानी जाएगी। 2017 के बाद की स्थितिः अयोध्या में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की कार्ययोजना पर कार्य शुरू हुआ। अयोध्या धाम को सोलर सिटी के तौर पर विकसित करने के कार्य आगे बढ़े। आज अयोध्या न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश-दुनिया में सोलर सिटी के तौर पर पहचान बुलंद कर रहा है।

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