लखनऊ: कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों के विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने को न्यायपालिका के निचले स्तर पर गिरते जाने का नया कीर्तिमान बताया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा इन दोनों जजों के खिलाफ़ अब तक कार्यवाई न करने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया है।
लखनऊ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जस्टिस शेखर कुमार यादव और जस्टिस दिनेश पाठक किसी गैर सरकारी और गैर विभागीय मंच पर कैसे जा सकते हैं। यह जजों के कोड ऑफ़ कंडक्ट के खिलाफ़ है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट को ख़ुद संज्ञान लेकर इन दोनों जजों को पद से हटा देना मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी है जिसको निभा पाने में वो असफल दिख रहे हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अपने संबोधन में जस्टिस शेखर यादव का यह कहना कि भारत अपने बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा, बताता है कि जस्टिस यादव संविधान तक को नहीं मानते जो भारत को बहुसंख्यकवादी राज्य नहीं बल्कि सेकुलर और लोकतांत्रिक राज्य मानता है। जिसके अनुसार देश को संविधान के हिसाब से चलना है। उन्होंने कहा कि अगर जस्टिस शेखर यादव संविधान को नहीं मानते तो वो संविधान की अभिरक्षा के लिए बने न्यायपालिका के सदस्य कैसे रह सकते हैं?
उन्होंने कहा कि यह वही जज हैं जिन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने संबंधी बयान देते हुए कहा था कि गाय एकमात्र ऐसी जानवर है जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है। ऐसी अवैज्ञानिक बात करना संविधान के आर्टिकल 51-ए(एच) के खिलाफ़ है जो वैज्ञानिक चिंतन के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी हर नागरिक को देता है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इन दोनों जजों के पूर्व के फैसलों की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए।