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58 साल बाद नौसेना अधिकारी ने नैनीताल की लक्जरी संपत्ति पर किया कब्जा, किरायेदार देता है 100 रुपए महीना

58 साल बाद भारतीय नौसेना के कैप्टन मृदुल शाह ने नैनीताल में अपनी लक्जरी संपत्ति पर कब्जा कर लिया, जब अदालत ने किरायेदार के खिलाफ फैसला सुनाया।

58 साल बाद नौसेना अधिकारी ने नैनीताल की लक्जरी संपत्ति पर किया कब्जा, किरायेदार देता है 100 रुपए महीना
नैनीताल की लक्जरी संपत्ति पर किया कब्जा- फोटो : freepik

Indian Navy captain: 58 साल बाद नौसेना अधिकारी ने नैनीताल की लक्जरी संपत्ति पर कब्जा किया, सिविल कोर्ट का फैसला बरकरार

नैनीताल में एक ऐतिहासिक संपत्ति विवाद का अंत तब हुआ जब भारतीय नौसेना के कैप्टन मृदुल शाह ने रोज़ बैंक कॉटेज पर 58 साल बाद कब्जा कर लिया। यह संपत्ति 1960 के दशक में मामूली किराए पर दी गई थी, लेकिन एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कैप्टन शाह ने आखिरकार इसे अपने परिवार के लिए पुनः प्राप्त कर लिया।


क्या है पूरा मामला?

रोज़ बैंक कॉटेज को 1966 में ₹100 प्रति माह के मामूली किराए पर हरपाल सिंह को दिया गया था। हरपाल सिंह की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी और बेटी नीलम सिंह वहां रहने लगीं। नीलम सिंह अपनी मां की मृत्यु के बाद किरायेदार बन गईं और वही किराया देना जारी रखा।


कैप्टन मृदुल शाह, जो भारतीय नौसेना में 23 साल तक सेवा दे चुके हैं, ने 2016 में संपत्ति खाली करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें अपने परिवार के लिए इसकी जरूरत थी। हालांकि, नीलम सिंह ने संपत्ति खाली करने से इनकार कर दिया, जिससे मामला अदालत में चला गया।


कोर्ट की लड़ाई

2017 में, एक सिविल कोर्ट ने कैप्टन मृदुल शाह के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन नीलम सिंह ने इस फैसले को नैनीताल सत्र अदालत में चुनौती दी। नीलम सिंह ने तर्क दिया कि भारतीय नौसेना अपने कर्मियों को पर्याप्त आवासीय सुविधाएं प्रदान करती है, और उनके परिवार को संपत्ति की अधिक आवश्यकता है।


कोर्ट का अंतिम फैसला

जिला न्यायाधीश सुबीर कुमार ने सिविल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि नीलम सिंह के द्वारा वैकल्पिक आवास का इंतजाम न कर पाना बेदखली का वैध आधार है।


शाह का पक्ष

शाह ने अदालत में कहा कि नौसेना में विभिन्न पोस्टिंग के कारण वह अपने परिवार को हर समय अपने साथ नहीं रख सकते थे। अब उन्हें इस संपत्ति की आवश्यकता है ताकि उनका परिवार नैनीताल में उनके रिश्तेदारों के साथ रह सके। उन्होंने यह भी बताया कि संपत्ति उनके परिवार को विरासत में मिली है और वह इसका पुनः अधिकार चाहते हैं।


नीलम सिंह का पक्ष

नीलम सिंह ने तर्क दिया कि उनका परिवार दशकों से इस संपत्ति में रह रहा है और उनके पास रहने का कोई वैकल्पिक स्थान नहीं है। उन्होंने अदालत से सिविल कोर्ट के फैसले को पलटने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया।

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