West Bengal Election : बाबरी मस्जिद की नींव रखनेवाले हुमायूँ कबीर पर सबने लगाया दाँव, कांग्रेस और टीएमसी से बने विधायक, बीजेपी की टिकट पर लड़ा लोकसभा चुनाव
N4N DESK : पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद के मॉडल पर आधारित मस्जिद की नींव रखे जाने को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। शनिवार को हुए इस विवादास्पद आयोजन में 2 लाख से अधिक लोग इकट्ठा हुए, जिन्होंने प्रतीकात्मक रूप से अपने हाथों में ईंटें ले रखी थीं। 6 दिसंबर की तारीख पर हुए इस शिलान्यास ने पूरे राज्य में सांप्रदायिक और राजनीतिक तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है।
अस्थिर रहा है हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर
हुमायूं कबीर का राजनीतिक करियर अस्थिरता से भरा रहा है, जो उन्हें सुर्खियों में बनाए रखता है। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस से शुरू किया और इसी पार्टी में रहकर वह विधायक भी बने। इसके बाद वह टीएमसी में आए और ममता बनर्जी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने, लेकिन तीन साल के भीतर ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।
बीजेपी के टिकट पर भी लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव
हुमायूं कबीर की राजनीतिक विचारधारा के बार-बार बदलने का एक बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब वह 2018 में बीजेपी में शामिल हो गए। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुर्शिदाबाद सीट से उम्मीदवार भी बनाया था। हालांकि, वह ज्यादा दिन तक बीजेपी में नहीं रहे और 2021 में फिर से टीएमसी में लौट आए, जिसके बाद वह भरतपुर सीट से विधायक बने।
बयानबाजियों पर कार्रवाई और नए राजनीतिक समीकरण
टीएमसी में लौटने के बाद भी हुमायूं कबीर की बयानबाजियां लगातार विवाद का कारण बनी रहीं। इस बार बाबरी मस्जिद की नींव रखने जैसे संवेदनशील कदम पर विवाद होने के बाद, पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें निष्कासित कर दिया। निष्कासन के बाद, हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाकर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से गठबंधन का ऐलान किया है, जिससे पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में नए राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना प्रबल हो गई है।