West Bengal Election : खेला होबे 2.0, क्या भाजपा के 'हिंदुत्व' और 'राष्ट्रवाद' के पिच पर ही बैटिंग करेंगी ममता बनर्जी ? बिछ गई 2026 की बिसात
KOLKATA : पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव की बिसात अभी से बिछनी शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया है, जिसे राजनीतिक गलियारों में "भाजपा के पिच पर ममता की बल्लेबाजी" कहा जा रहा है। ममता बनर्जी अब केवल विकास और 'मां-माटी-मानुष' की बात नहीं कर रहीं, बल्कि वे उन मुद्दों पर भी मुखर हो रही हैं जिन्हें अब तक भाजपा अपना मुख्य हथियार मानती थी।
सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा: 'दुर्गा आंगन' परियोजना
ममता बनर्जी ने हाल ही में न्यू टाउन, कोलकाता में 'दुर्गा आंगन' नामक एक विशाल मंदिर परिसर की आधारशिला रखी है। 2 लाख वर्ग फीट में बन रहा यह परिसर साल के 365 दिन माँ दुर्गा के दर्शन के लिए खुला रहेगा। खुद पर लगने वाले तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने मंच से कहा, "मैं सच्ची सेक्युलर हूँ। मैं मंदिर भी जाती हूँ, गुरुद्वारे भी और रोज़ा इफ्तार में भी शामिल होती हूँ।" विश्लेषकों का मानना है कि 'दुर्गा आंगन' के जरिए ममता भाजपा के हिंदुत्व कार्ड की धार कम करना चाहती हैं।
'सेक्युलर' छवि बनाम 'तुष्टिकरण' के आरोप
हालिया रैलियों में ममता बनर्जी काफी भावुक नजर आईं। उन्होंने कहा कि उनके धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर राजनीति की जाती है। उन्होंने मां दुर्गा से 'असुरों' का नाश करने की प्रार्थना कर इशारों-इशारों में भाजपा पर निशाना साधा। भाजपा के 'जय श्री राम' के नारे के मुकाबले वे 'जय बांग्ला' और दुर्गा पूजा की यूनेस्को (UNESCO) मान्यता को अपनी सांस्कृतिक जीत के रूप में पेश कर रही हैं।
'वोटर लिस्ट' और 'नागरिकता' का मुद्दा
चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे Special Intensive Revision (SIR) को लेकर ममता बनर्जी ने मोर्चा खोल दिया है। भाजपा जहाँ इसे घुसपैठियों को बाहर निकालने का तरीका बता रही है, वहीं ममता इसे 'पर्दे के पीछे का NRC' करार दे रही हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे किसी भी वैध नागरिक का नाम कटने नहीं देंगी। यह सीधे तौर पर बंगाल की अस्मिता और पहचान से जुड़ा मुद्दा बनाकर भाजपा के 'राष्ट्रवाद' को चुनौती देने की कोशिश है।
महिलाओं का 'साइलेंट' वोट बैंक
ममता की सबसे बड़ी ताकत महिला मतदाता हैं। 'लक्ष्मी भंडार' जैसी योजनाओं के जरिए उन्होंने महिलाओं के एक बड़े वर्ग को अपने पाले में रखा है। भाजपा अब इसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, जिसके जवाब में ममता नए साल में महिलाओं के लिए और भी बड़ी आर्थिक घोषणाएं कर सकती हैं।
'बीजेपी बाय-बाय' का नया नारा
अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के लिए नया स्लोगन दिया है— "मानबे ना हार, मां-माटी-मानुुुुुुुषेर सरकार आबार"। इसके साथ ही पीएम मोदी के नारे "बचते चाई तो बीजेपी चाई" (बचना है तो बीजेपी चाहिए) के जवाब में टीएमसी ने "बचते चाई, बीजेपी बाय" का नारा बुलंद किया है।