Russia QUAD: रूस ने अमेरिका की तरह एक नया गठबंधन अफगानिस्तान क्वाड का गठन किया है, जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान के भविष्य पर क्षेत्र के ताकतवर देशों के साथ मिलकर काम करना है। इस क्वाड में ईरान, पाकिस्तान, और चीन शामिल हैं, और अब रूस चाहता है कि भारत भी इसका हिस्सा बने। हालांकि, भारत के लिए यह गठबंधन चीन और पाकिस्तान की भागीदारी के कारण रणनीतिक चुनौती बन सकता है।
रूस का भारत को अफगानिस्तान क्वाड में निमंत्रण
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में भारत को अफगानिस्तान क्वाड में शामिल होने का निमंत्रण दिया और इसे "अफगानिस्तान में सही कदम" बताया। रूस ने दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान को लेकर एकजुटता की बात की है, लेकिन पाकिस्तान की भागीदारी भारत के लिए एक बड़ा रणनीतिक जोखिम है।
अफगानिस्तान क्वाड और क्षेत्रीय तनाव
अफगानिस्तान क्वाड की तीसरी बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर हुई थी, लेकिन क्षेत्रीय तनाव ने स्थिति को जटिल बना दिया है। पाकिस्तान और तालिबान के बीच हाल के वर्षों में रिश्ते खराब हुए हैं, और दोनों देशों के बीच कई बार सीमा पर झड़पें भी हो चुकी हैं। इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस गठबंधन में शामिल होने से पहले गहराई से विचार करना चाहिए, क्योंकि इसके भागीदार पाकिस्तान और चीन भारत के विरोधी हैं।
तालिबान से भारत के कूटनीतिक संबंध
रूस का निमंत्रण तब आया है जब भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तालिबान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुताकी से यूएई में मुलाकात की थी। यह दर्शाता है कि भारत तालिबान के साथ धीरे-धीरे कूटनीतिक संबंधों को फिर से स्थापित कर रहा है। भारत ने अफगानिस्तान में पहले भी भारी निवेश किया है, लेकिन 2021 में तालिबान की वापसी ने भारत की कई परियोजनाओं को बाधित कर दिया, और अब पाकिस्तान और चीन के प्रभाव को कम करने की कोशिश की जा रही है।
अफगानिस्तान की स्थिरता में भारत की भूमिका
अफगानिस्तान की स्थिरता भारत के लिए महत्वपूर्ण है, और विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट-खोरासन और अल-कायदा जैसे चरमपंथी समूहों की उपस्थिति से उत्पन्न खतरे को देखते हुए भारत को अफगानिस्तान के भविष्य पर नजर रखनी होगी। हालांकि, चीन और पाकिस्तान की मौजूदगी के कारण भारत के लिए इस क्वाड में शामिल होना कठिन निर्णय साबित हो सकता है।