Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद विमान हादसा में प्रत्येक मृतक के परिजनों को मिलेगा इतने करोड़ का बीमा, दुनिया का सबसे महंगा इंश्योरेंस क्लेम

Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद विमान हादसा भारत का सबसे बड़े हादसों में से एक है। इस दुर्घटना में विमान में बैठे 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई। घटना की इंश्योरेंस क्लेम 1500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।

विमान हादसा
दुनिया का सबसे महंगा विमान हादसा - फोटो : social media

Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद में हुए एआई-171 विमान क्रैश ने न सिर्फ देश को झकझोर दिया है, बल्कि इंश्योरेंस सेक्टर में भी भारी हलचल मचा दी है। हादसे में 241 यात्रियों सहित कुल 274 लोगों की मौत हुई है जबकि एकमात्र यात्री जीवित बच पाया। विशेषज्ञों के अनुसार, इस हादसे में इंश्योरेंस क्लेम की राशि 1,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है जो भारतीय विमानन इतिहास में एक रिकॉर्ड मानी जा रही है।

मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत मिलेगा मुआवजा

भारत ने 2009 में मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 पर हस्ताक्षर किया था। इसके तहत विमान हादसे में मारे गए प्रत्येक यात्री के परिजन को करीब 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में 240 से अधिक मृतकों के परिजनों को मिलने वाली राशि 240 करोड़ से अधिक हो सकती है। इसके अलावा, संपत्ति के नुकसान और कानूनी दावों के आधार पर कुल इंश्योरेंस दायित्व 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये तक हो सकता है।

विमान और इंश्योरेंस कंपनियों का ब्योरा

हादसे में पूरी तरह से तबाह हुआ बोइंग 787-8 विमान, जिसकी अनुमानित बीमा वैल्यू 650–700 करोड़ रुपये है। इस एयरक्राफ्ट की बीमा पॉलिसी का नेतृत्व टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कर रही है। जिसमें सहयोगी कंपनियों के रूप में जीआईसी री, यूनाइटेड इंडिया, ओरिएंटल इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोंबार्ड शामिल हैं। कुल बीमा जोखिम का करीब 95% हिस्सा अंतरराष्ट्रीय पुनर्बीमा कंपनियों के पास होता है, जिनमें AIG, AXA XL, और लंदन व बरमूडा के रीइंश्योरर शामिल हैं।

एविएशन मार्केट पर संभावित असर

विशेषज्ञों का मानना है कि यह हादसा भारतीय एविएशन इंश्योरेंस मार्केट, जिसकी मौजूदा वैल्यू करीब 900 करोड़ रुपये है। जिसपर सीधा असर डालेगा। साथ ही, भारत जैसे बाजारों के लिए ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियों की शर्तें और प्रीमियम अब और सख्त हो सकती हैं। एयर इंडिया के पूरे फ्लीट का बीमा कवरेज 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये आंका गया है। जिसका वार्षिक प्रीमियम अनुमानतः 250 करोड़ रुपये है। इस हादसे के बाद यह प्रीमियम और ऊपर जा सकता है। यह हादसा केवल एक तकनीकी या मानवीय त्रासदी नहीं, बल्कि एक बड़ा आर्थिक और कानूनी मामला बन चुका है। जिसका असर लंबे समय तक विमानन और बीमा क्षेत्र पर देखा जा सकता है।