India UNESCO World Heritage: सप्तगिरि से भीमिली तक, भारत की सात संपत्तियों को मिली यूनेस्को की सूची में जगह

India UNESCO World Heritage: यूनेस्को ने भारत की सात प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को अपनी अस्थायी सूची में स्थान दिया है। ....

भारत की सात संपत्तियों को मिली यूनेस्को की सूची में जगह- फोटो : social Media

India UNESCO World Heritage:  भारत की धरा, जिसे धर्मग्रंथों में मातृभूमि कहा गया है, अपने आँचल में ऐसी धरोहरें सँजोए बैठी है, जिनमें अध्यात्म और प्रकृति का अद्भुत संगम मिलता है। इसी पावन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए यूनेस्को ने भारत की सात प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को अपनी अस्थायी सूची में स्थान दिया है। यह सूची किसी साधारण दर्जे की नहीं, बल्कि विश्व धरोहर की सीढ़ी का पहला चरण है।

इन सात धरोहरों में सबसे प्रमुख हैं तिरुमाला की पवित्र सप्तगिरि। किंवदंती कहती है कि यह सात पहाड़ियाँ आदिशेष के सात फनों की तरह हैं, जहाँ भगवान विष्णु ने योगनिद्रा में विश्राम किया था। शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि और वेंकटाद्रि  ये सातों शिखर किसी मंदिर की सात परिक्रमा की तरह श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत हैं। हर शिला, हर झरना और हर वादी यहाँ ध्यान और तपस्या की गवाही देता है। इतिहासकार एनुगुला वीरास्वामी ने भी सन् 1830 में इस क्षेत्र का वर्णन करते हुए लिखा था कि तिरुमाला धरती पर मोक्षधाम का प्रतीक है, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्वितीय मेल है।

इसी पावन सूची में शामिल हुआ है विशाखापट्टनम का भीमिली लाल रेत का समुद्री चमत्कार। समुद्र की गोद में बसी ये लाल रेत के टीले प्रकृति की कविता जैसे प्रतीत होते हैं। हवाओं के संग उड़ते कणों ने हज़ारों वर्षों में इन टीलों को आकार दिया। वैज्ञानिक कहते हैं कि यहाँ की रेत के कण तीन हज़ार साल पुराने हैं। समुद्र के पीछे हटने और जलवायु के बदलते मिज़ाज ने इन्हें नया रूप दिया। आज ये टीले मात्र भूगर्भीय संरचना नहीं, बल्कि प्रकृति के कुरआन की आयतें हैं, जिन्हें सहेजना इबादत के समान है।

अन्य धरोहरों में महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर का डेक्कन ट्रैप, कर्नाटक का सेंट मैरी द्वीप समूह, मेघालय की रहस्यमयी गुफाएँ, नागालैंड की नागा हिल ओफियोलाइट, और केरल की वर्कला प्राकृतिक धरोहर शामिल हैं। यह सातों धरोहरें मिलकर भारत की आध्यात्मिक और प्राकृतिक धारा का परिचय देती हैं।

यूनेस्को की इस सूची में जुड़ने के बाद अब भारत की कुल 69 धरोहरें अस्थायी सूची में आ चुकी हैं। यह केवल धरोहरों की गिनती नहीं, बल्कि हमारी आस्था, इतिहास और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प है। सच ही कहा गया है “जहाँ धरती का हर कण पवित्र हो, वहाँ धरोहरें सिर्फ़ पत्थर नहीं, बल्कि ईश्वर का प्रत्यक्ष स्वरूप होती हैं