Jagdeep Dhankhar Resignation: भाजपा में नई चुनौतियां! उपराष्ट्रपति और अध्यक्ष पद के लिए जातीय संतुलन और संघ की सहमति बनी बड़ी कसौटी, जानें क्यों पैदा हुआ विवाद

Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भाजपा अब नए उपराष्ट्रपति और पार्टी अध्यक्ष के चयन में उलझी है। RSS के साथ मतभेद और जातीय समीकरण ने फैसला कठिन बना दिया है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से BJP की बढ़ी मुश्किलें!- फोटो : SOCIAL MEDIA

Jagdeep Dhankhar Resignation: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने फिलहाल एक नहीं बल्कि दो शीर्ष पदों पर रणनीतिक और राजनीतिक निर्णय लेने की चुनौती है। एक ओर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से राष्ट्र के संवैधानिक पद पर रिक्तता आ गई है, तो दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष के पद पर चयन में भी RSS और भाजपा के बीच मतभेद सामने आ रहे हैं।

टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा अब अगस्त के अंत तक इन दोनों पदों पर निर्णय लेना चाहती है, लेकिन मामला अब राजनीति से अधिक सामाजिक समीकरणों और संगठनात्मक संतुलन का हो चुका है।

भाजपा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति चयन में क्या हैं प्रमुख समीकरण?

भाजपा दोनों पदों पर राजनीतिक और सामाजिक समीकरण को साधने में लगी है। रिपोर्ट में संकेत दिए गए हैं कि:

उच्च जाति बनाम ओबीसी/दलित समीकरण

अगर उपराष्ट्रपति पद पर उच्च जाति के नेता को नियुक्त किया जाता है, तो भाजपा अध्यक्ष ओबीसी या दलित समुदाय से हो सकता है।भाजपा चाहती है कि वोट बैंक और सामाजिक प्रतिनिधित्व में संतुलन बना रहे।

आरएसएस की भूमिका और असहमति

रिपोर्ट बताती है कि संघ (RSS) ‘मजबूत संगठन नेता’ की तलाश में है।वहीं, भाजपा नेतृत्व की ओर से धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम आगे बढ़ाए गए हैं, लेकिन संघ अभी तक किसी नाम से स्पष्ट सहमति नहीं दे रहा।

2022 के घटनाक्रम से सीख: राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चयन की रणनीति

साल 2022 में राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को चुना गया था, जो पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं। उसी वर्ष जगदीप धनखड़, जो एक किसान पुत्र और जाट समुदाय से आते हैं, को उपराष्ट्रपति बनाया गया।इस रणनीति का उद्देश्य स्पष्ट था आदिवासी समुदाय को प्रतिनिधित्व देना। किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय में नाराजगी को शांत करना। अब जब उपराष्ट्रपति पद फिर खाली हुआ है, तो भाजपा को सामाजिक समीकरणों की नई गणित तैयार करनी होगी।

RSS और भाजपा के बीच मतभेद

रिपोर्ट के अनुसार, संघ के साथ असहमति के बीच अब यह संभावना जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करें। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन पर चर्चा के दौरान भविष्य के भाजपा अध्यक्ष को लेकर भी बात उठा सकते हैं। संघ, जो आमतौर पर संगठनात्मक अनुशासन और विचारधारा की मजबूती पर ज़ोर देता है, नामों के चयन में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।

संभावित नाम: कौन हो सकते हैं अगले अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति?

भाजपा अध्यक्ष के लिए संभावित नाम

धर्मेंद्र प्रधान – केंद्रीय शिक्षा मंत्री, ओबीसी चेहरा, संगठन में अनुभव

भूपेंद्र यादव – पर्यावरण मंत्री, संगठन में जमीनी पकड़, संघ से निकटता

उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नाम

कोई वरिष्ठ उच्च जाति नेता या पूर्व राज्यपाल जिनकी वैचारिक प्रतिबद्धता और राजनीतिक संतुलन दोनों होंहालांकि, अंतिम निर्णय अभी तक एनडीए सहयोगियों से बातचीत के बाद ही लिया जाएगा।