Ladakh crisis:लद्दाख-राज्य नहीं, सशक्त हिल काउंसिल और केंद्रशासित ढांचा ही समाधान, विकास और सुरक्षा ही असली चाबी
Ladakh crisis:लद्दाख का विवादित मुद्दा वर्षों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है, लेकिन केंद्रशासित प्रदेश का ढांचा ही इस नाजुक क्षेत्र के लिए व्यावहारिक और सुरक्षित विकल्प है।
Ladakh crisis:लद्दाख का विवादित मुद्दा वर्षों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है, लेकिन केंद्रशासित प्रदेश का ढांचा ही इस नाजुक क्षेत्र के लिए व्यावहारिक और सुरक्षित विकल्प है। 3 लाख से भी कम आबादी और विशाल दुर्गम भूभाग को देखते हुए राज्य का दर्जा देना असंगत और अव्यवहारिक होगा। छोटे राज्य में विधानसभा गठन न केवल जटिल होगा, बल्कि सुरक्षा और प्रशासनिक त्वरित निर्णयों में भी बाधा उत्पन्न करेगा।
सीमा सुरक्षा की दृष्टि से भी लद्दाख संवेदनशील है। चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं के चलते सैन्य रसद, भूमि उपयोग और बुनियादी ढाँचे पर राज्य सरकार के अधिक अधिकार जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, लेह और कारगिल की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ भिन्न हैं, राज्य का गठन इन मतभेदों को और गहरा कर सकता है। ऐसे में छठी अनुसूची और सशक्त लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) ही वास्तविक समाधान है। भूमि, रोजगार और संसाधनों पर कड़े नियंत्रण से स्थानीय अधिकार और संस्कृति सुरक्षित रह सकते हैं।
वास्तविक विकास राज्य के दर्जे पर निर्भर नहीं करता। केंद्रशासित ढांचे के तहत लद्दाख को क्षेत्र-विशिष्ट योजनाएँ, स्थानीय आरक्षण और टिकाऊ पर्यटन व अक्षय ऊर्जा मॉडल प्राप्त हैं। 2019 के बाद से ₹32,143 करोड़ का विकास निवेश, 1,670 किमी सड़कें, 136 मोबाइल टॉवर, हनले डार्क स्काई रिजर्व और 85% नौकरियों में स्थानीय आरक्षण इसे दर्शाते हैं।
हालांकि, सोनम वांगचुक और कांग्रेस के तत्वावधान में राजनीतिक आंदोलनों ने स्थिति को भड़का दिया। वांगचुक के अनिश्चितकालीन अनशन, सोशल मीडिया अभियान और हिंसा भड़काने वाले क़दमों ने लद्दाख की शांति, पर्यटन और आजीविका पर गंभीर प्रभाव डाला। 24 सितंबर 2025 की हिंसा में चार लद्दाखी युवाओं की मृत्यु हुई और 105 सुरक्षा कर्मी घायल हुए।
विपक्ष के प्रयासों के बावजूद, भाजपा प्रशासन ने वार्ता और विकास को प्राथमिकता दी, स्थानीय हिल काउंसिलों को सशक्त किया और नागरिक जीवन व सुरक्षा सुनिश्चित की। स्थानीय अधिकारों को मजबूत करना, पर्यावरण की सुरक्षा और टिकाऊ विकास ही लद्दाख के लिए वास्तविक समाधान है। राज्य का दर्जा न देना व्यावहारिक और सुरक्षित विकल्प साबित होता है।
बहरहाल लद्दाख की अनूठी पहचान, सीमाई सुरक्षा और स्थानीय कल्याण के लिए केंद्रशासित ढांचा, LAHDC और छठी अनुसूची का संरक्षण ही स्थायी समाधान है, जबकि राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी हस्तक्षेप केवल नुकसान और भ्रम पैदा करते हैं।
रिपोर्ट- नरोत्तम कुमार सिंह