Bihar News : बांका में 13 करोड़ की चेक डैम योजना में 'घोटाले' की गूँज, घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर ग्रामीणों का भारी हंगामा
BANKA : जिले के अमरपुर प्रखंड के धर्मराय गांव में किसानों की सिंचाई सुविधा के लिए करीब 13 करोड़ 35 लाख रुपये की लागत से बन रहे चेक डैम (वीयर) निर्माण में धांधली का बड़ा मामला सामने आया है। निर्माण कार्य शुरू होते ही स्थानीय ग्रामीणों ने गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण एजेंसी सरकारी मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए घटिया सामग्री का उपयोग कर रही है, जिससे इस महत्वपूर्ण परियोजना के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है।
ग्रामीणों ने मौके पर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि चेक डैम की नींव और दीवारें चिमनी ईंट के बजाय लोकल (देसी) ईंटों से बनाई जा रही हैं। स्थानीय निवासी विवेक चौहान और अंकित कुमार सिंह ने बताया कि निर्माण में मिट्टी युक्त बालू और जमा हुआ पुराना सीमेंट धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जल संरचनाओं में देसी ईंट पानी का दबाव नहीं झेल पाएगी, जिससे करोड़ों की यह योजना पहली बारिश में ही जमींदोज हो सकती है। यह सरकारी धन की खुली बर्बादी और किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
इस बीच, निर्माण कार्य की पोल खोलता एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें साफ दिख रहा है कि बिना किसी जल निकासी व्यवस्था के पानी के अंदर ही दीवार खड़ी कर दी गई है। ग्रामीण राहुल कुमार के अनुसार, डैम के स्टेप्स में बेहद पतली और कहीं-कहीं टूटी हुई लोहे की छड़ों का प्रयोग किया गया है। मानकों की इस तरह की अनदेखी से आक्रोशित 100 से अधिक ग्रामीणों ने अब काम को रुकवा दिया है और किसी स्वतंत्र एजेंसी या वरीय अभियंता से उच्च स्तरीय तकनीकी जांच की मांग की है।
परियोजना का विवरण देते हुए बताया गया कि लघु जल संसाधन विभाग द्वारा धर्मराय, मधुबन और पुतरिया चेक डैम का निर्माण 'गलैडिएटा इंजीनियरिंग मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड' द्वारा किया जा रहा है, जिसे मार्च 2026 तक पूरा होना है। ग्रामीणों का गंभीर आरोप है कि जब उन्होंने अनियमितता का विरोध किया, तो ठेकेदार के मुंशी द्वारा उन पर प्राथमिकी दर्ज कराने की धमकी दी गई। लोगों का मानना है कि इतनी बड़ी धांधली बिना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है।
मामले के तूल पकड़ने पर लघु जल संसाधन विभाग की एसडीओ शिल्पा सोनी ने सफाई देते हुए कहा कि जहां भी खराब सामग्री पाई गई थी, उसे हटाने का निर्देश दिया गया है और एजेंसी को मानकों का पालन करने की हिदायत दी गई है। हालांकि, प्रशासन के इस आश्वासन से ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि क्या इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच होकर दोषियों पर कार्रवाई होगी या करोड़ों रुपये इसी तरह पानी में बहा दिए जाएंगे।
बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत कि रिपोर्ट