Bihar Health News: ICU में भर्ती है बिहार का हेल्थ सिस्टम! भागलपुर के मायागंज अस्पताल में दिखा अजीबो-गरीब नजारा, ईंटों के सहारे मरीजों का किया जा रहा इलाज
भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल में मरीजों का इलाज ईंटों के सहारे किया जा रहा है। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की ये हकीकत चिंताजनक है। जानिए पूरी रिपोर्ट।

Bhagalpur mayaganj hospital: भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल पूर्वी बिहार का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। इसका संबंध जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से है। आज स्वास्थ्य सेवा की बदहाली का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। भागलपुर समेत आसपास के जिलों के हजारों मरीजों के लिए आशा की किरण समझे जाने वाले इस अस्पताल का सिस्टम खुद ही बीमार पड़ चुका है।
हड्डी रोग विभाग की हालत इतनी बदतर हो गई है कि यहां इलाज के दौरान मरीजों के ट्रैक्शन (हड्डी को स्थिर रखने की तकनीक) के लिए ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह न केवल चिकित्सा मानकों के खिलाफ है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी गंभीर लापरवाही है।
मेडिकल उपकरण नहीं तो ईंट बनी सहारा
मायागंज अस्पताल में बिस्तर, प्लास्टर सपोर्ट, मेडिकल ट्रैक्शन ब्लॉक्स जैसी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। हड्डी टूटने या फ्रैक्चर के केस में जहां मरीजों को उचित ट्रैक्शन उपकरण की जरूरत होती है, वहां उन्हें ईंटों के सहारे स्थिर किया जा रहा है।डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन संसाधनों की घोर कमी ने उन्हें केवल सलाह तक सीमित कर दिया है। इलाज न तो वैज्ञानिक है, न ही सुरक्षित।स्थानीय मरीजों के परिजन कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन की अनदेखी और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता इस लचर व्यवस्था को बनाए रखती है।
मरीजों के अधिकारों के साथ हो रहा खिलवाड़
यह स्थिति तब और भी ज्यादा भयावह हो जाती है जब मायागंज अस्पताल का संबंध JLN मेडिकल कॉलेज से है, जो खुद एक उच्च चिकित्सा संस्थान है। रोजाना सैकड़ों मरीज इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं, लेकिन यहां की दुर्व्यवस्था उन्हें हताश और निराश कर देती है।कई मरीजों ने इलाज के नाम पर दिनों तक बेसहारा पड़े रहने, तकलीफ में तड़पने और बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रहने की आपबीती सुनाई है। यह केवल एक अस्पताल की समस्या नहीं, बल्कि यह बिहार की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरी को सामने लाता है।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब इस गंभीर मुद्दे पर अस्पताल प्रशासन से सवाल किया गया, तो मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने स्वीकार किया कि वास्तव में यह व्यवस्था वैज्ञानिक नहीं है। ट्रैक्शन के लिए मरीजों को वेट बलाक लगाया जाना चाहिए। ईंट का उपयोग एक आपात उपाय है, जिसे बंद किया जाना चाहिए।उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस व्यवस्था को सुधारा जाएगा। हालांकि, यह कोरा आश्वासन मरीजों के लिए कितनी राहत लाएगा, यह देखना बाकी है।
राज्य सरकार के दावों और ज़मीनी हकीकत में फर्क
बिहार सरकार एक ओर जहां स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलाइजेशन और AIIMS जैसे मॉडल अस्पतालों की बात करती है, वहीं मायागंज अस्पताल जैसी स्थितियां सरकार के दावों की सच्चाई उजागर कर देती हैं।राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की आवश्यकता केवल बजट घोषणाओं से पूरी नहीं होगी। इसके लिए ज़मीनी स्तर पर निगरानी, संसाधनों की उपलब्धता और जवाबदेही की आवश्यकता है।