Bihar Police : भागलपुर में गश्ती दल ने शराब कारोबारी को किया गिरफ्तार, थानेदार ने दिखाई दरियादिली-जेल भेजने के बजाय थाने से किया रिहा

Bihar Police : भागलपुर में गश्ती दल ने शराब कारोबारी को किया गिरफ्तार, थानेदार ने दिखाई दरियादिली-जेल भेजने के बजाय थाने से किया रिहा

BHAGALPUR : आधी हकीकत आधा फसाना ! जी हां यह है बिहार के भागलपुर का जोगसर थाना। जहां शराबबंदी कानून अब पुलिस के लिए हथियार बन गई है, जो तस्करों और पुलिस के लिए गाढ़ी कमाई का एक जरिया भी है। जिसका खामियाजा गरीबों व बेबस, लाचार लोगों को आज यहां भुगतना पड़ रहा है। खासकर शराबबंदी के इस कानून ने बेरहम पुलिस को भी अब रहमदिल बना दिया है। कैसे ? वह भी हम आपको यहां विस्तार से बताएंगे। दरअसल पूरा मामला बिहार के भागलपुर स्थित जोगसर थाना से जुड़ा है, जब बीते 6 अप्रैल दिन रविवार की सुबह जोगसर थाना की पुलिस क्षेत्र में गश्ती कर रही थी। इसी बीच पुलिस को क्षेत्र के ही ओमप्रकाश भगत के पुत्र अरुण भगत के घर शराब छिपाकर रखे जाने की गुप्त सूचना मिली। जानकारी पर गश्तीदल के अधिकारी राजेश कुमार महतो अपने दल-बल के साथ उक्त स्थल पर पहुंचे और सूचना के सत्यापन व आवश्यक कार्रवाई के तहत 375 एमएल शराब की कुल 7 बोतलों को बरामद करते हुए गृहस्वामी अरुण को अपनी हिरासत में ले थाना चले आए। लेकिन 7 घंटे बाद थानेदार कृष्णनंदन कुमार ने गृहस्वामी को थाना से यह कहकर मुक्त कर दिया कि भले ही सौ दोषी बच जाए, एक निर्दोष फंदे पर ना झूल पाए। यानि कि न्यायपालिका के कार्यों के निर्वहन का भी जिम्मा थानेदार ने ही ले लिया। तो फिर सरकार के उस फरमान का क्या, जो बीते दिनों उन्होंने ऐलान कर तल्ख लहजे में कहा था कि जिस पुलिस अधिकारी के क्षेत्र में शराब पकड़ी जाएगी, उनके खिलाफ एक्शन होगा ? तो सुनिए इस आदेश के बचाव में पुलिस ने एक नई पटकथा तैयार कर ली है, जो कांड संख्या 78/25 में वर्णित है। 

पुलिस ने दर्ज प्राथमिकी में खुद को वादी बताते हुए कहा है कि बीते 6 अप्रैल दिन रविवार की सुबह राजेश कुमार महतो थाना क्षेत्र में गश्तीदल के साथ बतौर अधिकारी भ्रमणशील थे। इसी बीच गुप्त सूचना मिली कि थाना क्षेत्र के खरमनचक स्थित हथियानाला के समीप एक व्यक्ति द्वारा शराब खरीद-फरोख्त की जा रही है। सूचना के सत्यापन व आवश्यक कार्रवाई के लिए अधिकारी राजेश त्वरित दल-बल के साथ उक्त स्थल पर पहुंचे। जहां उन्होंने देखा कि एक युवक ब्लू और सफेद थैले में कुछ लेकर जा रहा था। जो पुलिस को देख भागने लगा और क्षेत्र के ही अरुण भगत के घर में प्रवेश कर हाथ में रखे थैले को छोड़ भाग खड़ा हुआ, जिसे पुलिस ने पकड़ने की भरपूर कोशिश की। लेकिन नाकाम रही। आस पास के लोगों ने फरार व्यक्ति के बारे में पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि उक्त व्यक्ति क्षेत्र के ही आर.के.लेन, कहरटोली निवासी लखन राम का पुत्र संजय राम है। पुलिस की माने तो उक्त व्यक्ति पर शराब से सम्बंधित कई कांड जोगसर थाने में ही लंबित है, जिसे कई दफा जेल भी भेजा गया है। यानि कि पुलिस द्वारा क्षेत्र के एक पेशेवर कारोबारी को चिन्हित किया गया, जो पहले से ही दागी व समाजिक रूप से बदनाम भी है। ताकि निर्दोष व्यक्ति को बचाया भी जाए। तो आइए हम आपको पुलिस के इस रहमदिल व दरियादिली की पूरी कहानी भी बताते हैं, जिसे हमने अपने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये घटना के 9वें दिन गृहस्वामी की जुबानी अपने कैमरे में कैद भी किया और रेंज आईजी विवेक कुमार को साझा कर मामले में उचित कार्रवाई की मांग भी की है। आपको बता दें कि उक्त ऑपरेशन में गृहस्वामी ने पुलिस पर काफी संगीन आरोप मढ़े हैं। करीब आठ मिनट के वीडियो में उसने बताया है कि किस तरह थानेदार से लेकर गश्तीदल के अधिकारी, ड्राइवर व केस के अनुसंधानकर्ता ने उससे राहत के नाम पर 55 हज़ार रुपये ऐंठ लिए। और पुनः रुपये की मांग भी कर रहे हैं। यही नहीं उसने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस ने उसके घर के बेसमेंट स्थित ऊपर जाने वाली सीढ़ी के समीप गुप्त जगह से शराब की बरामदगी किया और उसे वहां से 10 मीटर दूर बताया गया। जो उसके लिए राहत का भी सबब बना। हालांकि उसने इस बात को स्वीकार भी किया है कि उसके घर कारोबारी संजय द्वारा अनेकों बार शराब छुपाई और क्रय-विक्रय किया जाता है, जिसकी खबर भी उसने कभी नजदीकी थाने को नहीं दी। बहरहाल बात जो भी हो यहां आपको यह स्पष्ट कर दूं कि जिस जोगसर थाना के मुखिया से लेकर अन्य लोगों ने भ्रष्टाचार की गंगोत्री में खुद को डुबोया है, और आज एक आरोपी को निर्दोष बता दरियादिली दिखाया है। 

यह दरियादिली उस दिन कहां चली गयी थी, जब एनएसजी के कमांडो को ट्रैफिक के मामूली सा विवाद में बीच सड़क से उठाकर थाना ले आए और थर्ड डिग्री दे आठ घंटे तक हाजत में डाल दिया, जैसे वह कोई आतंकी, माओवादी या नक्सल गतिविधियों से ताल्लुक रखता हो। आखिरकार कमांडो पर थाना के दरोगा ने केस किया और और एक मोटी रकम लेकर उसे देर रात छोड़ा गया, जिसे एनएसजी के जवान ने अपनी ओर से भागलपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष नालसी वाद में भी बताया है। बड़ा सवाल है कि जब शराब की बोतलों को पुलिस ने अरुण भगत के घर से बरामद किया तो थानेदार कृष्णनंदन ने किन शर्तों पर उसे जाने दिया। पुलिस के वरीय अधिकारियों को ध्यान देना होगा कि आखिर थानेदार ने खुद को न्यायाधीश बता कर आरोपी को दोषमुक्त कैसे कर दिया। घटनाक्रम के दिन आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की भी जांच होनी चाहिए, ताकि उसमें पुलिस द्वारा आरोपित बताया गया शराब कारोबारी भागता भी दिख जाए। नहीं तो यूं ही अरुण भगत जैसे लोग शराब के कारोबार व कारोबारियों को बढ़ावा देंगे और बेकसूर व निरीह लोग इसमें पीसकर सलाखों के पीछे भेजे जाएंगे। यह हम ही नहीं बल्कि बिहार में शराबबंदी को लेकर बीते काल में यह तल्ख टिप्पणी पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पूर्णेदु सिंह ने भी की है। जो आज सही भी साबित हो रही है।

भागलपुर से बालमुकुन्द की रिपोर्ट 

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