Bihar news: पति को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजी फिर प्रेमी से कर ली गुपचुप दूसरी शादी..मर्द खोजने लगा तो चौंकाने वाला सच आया सामने
जानें कैसे झूठे दहेज प्रथा के मामलों ने निर्दोष लोगों की जिंदगी बर्बाद की। बिहार के नालंदा का यह मामला सामाजिक और कानूनी समस्याओं को उजागर करता है।
Bihar news: बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने मानसिक प्रताड़ना के कारण आत्महत्या कर ली। उन पर उनकी पत्नी द्वारा दहेज प्रथा के झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए थे। यह मामला समाज में बढ़ते ऐसे मामलों की एक झलक मात्र है, जहां झूठे आरोपों का शिकार पुरुषों और उनके परिवारों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
बिहार के नालंदा से एक और मामला
नालंदा जिले के नगरनौसा थाना क्षेत्र के चौरासी गांव का एक मामला सामने आया। यहां कुंदन कुमार और उनके परिवार पर दहेज प्रथा का झूठा मामला दर्ज किया गया। कुंदन की पत्नी सुधा कुमारी अचानक घर से गायब हो गई थी। गायब होने के बाद सुधा के परिवार ने कुंदन और उनके परिवार पर दहेज हत्या का मामला दर्ज करा दिया।
बिना जांच गिरफ्तारी और जेल की सजा
पुलिस ने बिना उचित जांच किए कुंदन कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस दौरान उनके परिवार के अन्य सदस्य गांव छोड़कर भाग गए। न्यायालय में 90 दिनों तक चार्जशीट दाखिल न होने के कारण कुंदन को जमानत मिल गई, लेकिन उसे चार महीने जेल में रहना पड़ा।
पत्नी की दूसरी शादी का खुलासा
जेल से बाहर आने के बाद कुंदन ने अपनी पत्नी की तलाश शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि सुधा ने दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली है और उसके साथ रह रही है। सुधा के पड़ोसियों और सहेलियों से यह जानकारी मिली। पूर्णिया पुलिस की मदद से महिला को धमदाहा से बरामद किया गया।
अदालत में महिला का बयान
सुधा को नालंदा कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसने 164 के तहत बयान दिया कि वह अपने दूसरे पति के साथ रहना चाहती है। अदालत ने महिला को उसके दूसरे पति के साथ रहने की अनुमति दी।
दूसरी शादी के कानून और सजा का प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता की धारा 494 के तहत बिना तलाक लिए दूसरी शादी करना अपराध है। यह कानून पुरुष और महिला दोनों पर समान रूप से लागू होता है। इस मामले में, महिला को 10 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
झूठे मामलों का दुष्प्रभाव
ऐसे झूठे मामलों से न केवल निर्दोष व्यक्ति और उसके परिवार को मानसिक और आर्थिक क्षति होती है, बल्कि न्याय प्रणाली पर भी सवाल खड़े होते हैं। यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।