Bharat Ratan: लालू, नीतीश, रामविलास- सुशील मोदी कोई नहीं भारत रत्न के पात्र! बिहार में सिर्फ एक ही इस सम्मान के योग्य, पद्म श्री सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार ने बड़बोले नेताओं को दिखाया आइना
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और पद्म श्री सम्मानित सुरेंद्र किशोर इनमें किसी नेता को भारत रत्न के योग्य नहीं मानते। उन्होंने अपने सोशल मीडिया के एक पोस्ट में इसी के संकेत देते हुए कहा है कि बिहार में सिर्फ एक ही व्यक्ति इस सम्मान के योग्य हैं।
Bharat Ratan: बिहार में हाल के दिनों में कई नेताओं को भारत रत्न देने की मांग उठी है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू यादव, दिवंगत रामविलास पासवन, सुशील मोदी जैसों के नाम शामिल है। हालांकि बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और पद्म श्री सम्मानित सुरेंद्र किशोर इनमें किसी नेता को भारत रत्न के योग्य नहीं मानते। उन्होंने अपने सोशल मीडिया के एक पोस्ट में इसी के संकेत देते हुए कहा है कि बिहार में सिर्फ एक ही व्यक्ति इस सम्मान के योग्य हैं। उन्होंने बिना नाम लिए बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह को भारत रत्न का पात्र बताया है।
सुरेंद्र किशोर ने अपने पोस्ट में लिखा है, किन्हें मिले ‘भारत रत्न’ सम्मान ?! ‘‘उच्चत्तम स्तर की असाधारण सेवा’’ के लिए प्रधान मंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति हर साल अधिक से अधिक तीन हस्तियों को ‘भारत रत्न’ सम्मान से अलंकृत करते हैं। वह अवसर एक बार करीब आ रहा है। मेरी समझ से अन्य बातों के अलावा राज नेताओं के मामले में दो विरल गुणों को इस सम्मान के लिए बुनियादी आधार बनाया जाना चाहिए।
1-ऐसे ही नेता को इस सम्मान के योग्य माना जाए जिन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अपने परिजन को राजनीति में स्थापित नहीं किया।(इन दिनों जो भी चुनाव हो रहे हैं,उनमें वंशवाद-परिवारवाद की होड़ मची हुई है।)
2-जिन्होंने अपनी सत्ता का दुरुपयोग करके अपनी निजी संपत्ति नहीं बढ़ाई।(ऐसे नेताओं की संख्या अब सैकड़ा में है जिनकी अपार संपत्ति का विवरण देखकर लगता है कि वे राजनीति से अधिक कोई उद्योग-धंधा चला रहे हैं।) इन दो मामलों में इस देश की राजनीति में इतनी तेजी से गिरावट आती जा रही है कि यदि यह गिरावट जारी रही तो कुछ ही वर्षों में इस देश की राजनीति का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। अघोषित रूप से वही हाल हो जाएगा जो हाल आजादी से पहले 565 रजवाड़ों की मौजूदगी में इस देश का था।
इन दो मामले में बिहार के एक दिवंगत नेता के नाम पर विचार किया जा सकता है। मैं उनका नाम यहां नहीं बताऊंगा,किंतु पुराने लोग समझ जाएंगे। उस नेेता ने लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए भी नाजायज तरीके से कोई निजी संपत्ति नहीं बनाई।उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया।
उनमें अन्य गुण भी थे,पर मैंने सिर्फ दो मौलिक गुणों की चर्चा की। क्योंकि ये गुण आज की राजनीति में विरल होते जा रहे हैं।ये दो बुनियादी मानदंड तय हो जाएं तो भारत रत्न सम्मान की मांग बहुत ही कम हो जाएगी। बिना नाम लिए जिस नेता की मैं बात कर रहा हूं, उनके निधन के बाद उनकी निजी तिजोरी से सिर्फ 24 हजार 500 रुपए मिले। वे रुपए चार लिफाफों में रखे गए थे। एक लिफाफे में रखे 20 हजार रुपए प्रदेश पार्टी के लिए थे।
दूसरे लिफाफे में तीन हजार रुपए थे एक राजनीतिक मित्र की बेटी की शादी के लिए थे। तीसरे लिफाफे में एक हजार रुपए थे जो एक अन्य नेता की छोटी कन्या के लिए थे। चैथे लिफाफे में 500 रुपए उनके विश्वस्त नौकर के लिए थे।यानी अपने परिवार के लिए कुछ नहीं। उस मुख्य मंत्री के मुुख्य मंत्री सचिवालय में कोई भी अफसर या कर्मचारी उनकी जाति का नहीं था। यहां तक कि गोपनीय शाखा का प्रमुख और सुरक्षा पदाधिकारी भी दूसरी जाति के ही थे। वे नेता अपने चुनाव क्षेत्र में अपने लिए वोट मांगने कभी नहीं गये।फिर भी हर बार जीते।
सुरेंद्र किशोर का यह पोस्ट परोक्ष रूप से बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह को भारत रत्न का पात्र बताने का संकेत है। साथ ही लालू, नीतीश, रामविलास- सुशील मोदी के लिए उठ रही मांग रही को भी उन्होंने आइना दिखाया है।