Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे के बाद नए सिरे से लगान और प्रकृति का निर्धारण, जानिए क्या होगा प्रभाव?
बिहार में जमीन सर्वे के बाद जमीन का लगान और प्रकृति नए सिरे से तय की जाएगी। जानिए इस सर्वे के परिणामस्वरूप होने वाले बदलावों के बारे में।
Bihar Land Survey: बिहार सरकार 2026 के अंत तक एक व्यापक जमीन सर्वेक्षण की योजना बना रही है, जिसके बाद जमीन का लगान और प्रकृति नए सिरे से निर्धारित की जाएगी। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य जमीन की सही पहचान कर उसकी प्रकृति और उपयोग के आधार पर नए फैसले लेना है। इस प्रक्रिया के दौरान जमीन को गैर-मजरुआ आम, गैर-मजरुआ खास, पुश्तैनी या रैयती के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
जमीन की प्रकृति निर्धारण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वर्तमान में बिहार में जमीन की प्रकृति 1920 में अंग्रेजों द्वारा कराए गए कैडेस्ट्रल सर्वे और 1968-1972 के बीच हुए रीविजनल सर्वे मैप पर आधारित है। जिन स्थानों पर रीविजनल सर्वे नहीं हुआ था, वहां 1920 का सर्वे ही मान्य है। यह पुराने सर्वेक्षण जमीन की प्रकृति के बारे में अधिकृत जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन वर्तमान में इसके कई पहलुओं को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
नए सिरे से जमीन की किस्म का निर्धारण
सर्वे के बाद जमीन की किस्म को धनहर (खेती योग्य), आवासीय, भीठ (आवासीय के पास की जमीन) और व्यावसायिक के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। यह वर्गीकरण जमीन के उपयोग को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा ताकि उचित लगान निर्धारित किया जा सके।
गैर-मजरुआ जमीन का वर्गीकरण
गैर-मजरुआ आम: यह जमीन रैयतों के नाम पर होती है, जिसका उपयोग पूरे समाज के लिए किया जाता है।
गैर-मजरुआ खास: यह भी रैयतों के नाम पर होती है, लेकिन इसका बंदोबस्त बदला नहीं जा सकता।
केसर-ए-हिंद: यह भूमि केंद्र सरकार के अधीन आती है।
पुश्तैनी या रैयती भूमि: यह निजी जमीन होती है, जिसकी खरीद-बिक्री की जा सकती है।
जमीन विवादों के समाधान के लिए नई पहल
राज्य सरकार ने जमीन विवादों के समाधान के लिए एडीएम (राजस्व) को अधिकृत किया है, जो जमीन से जुड़े मामलों का निपटारा करेंगे। 2009 में बने बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम (बीएलडीआर) के तहत जमीन की प्रकृति में किसी भी बदलाव की शिकायत की जांच की जाएगी और दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
डीएम को निबंधन रोकने का अधिकार
जमीन के निबंधन को रोकने या छूट देने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को सौंपा गया है। इसके तहत सरकारी जमीन, कोर्ट के आदेश या जांच एजेंसी द्वारा जब्त की गई जमीन के निबंधन पर रोक लगाई जा सकती है।