Bihar News: MBA स्टूडेंट यशी सिंह अपहरण मामले की CBI को 20 दिसम्बर तक जाँच की प्रगति रिपोर्ट देने का हाई कोर्ट का निर्देश, 2 साल पहले कॉलेज जाने के लिए निकली थी युवती

मुजफ्फरपुर की एमबीए छात्रा यशी सिंह अपहरण कांड मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने यशी सिंह केस की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया और केस की प्रगति रिपोर्ट चार सप्ताह में देने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

Bihar News: पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ्फरपुर की एमबीए की छात्रा यशी सिंह अपहरण मामलें की आगे की जाँच के लिए सीबीआई को 20 दिसंबर,2024 तक का समय दिया है।पिछली सुनवाई में जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें की सुनवाई करते हुए सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा था।कोर्ट ने सीबीआई चार सप्ताह में जाँच की प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।

कोर्ट को सीबीआई ने बताया कि इस मामलें की जांच शुरु हो चुकी है। आगे की जांच के लिए सीबीआई ने कोर्ट से और समय देने का अनुरोध किया।कोर्ट ने इसे स्वीकारते हुए 20 दिसंबर,2024 तक समय दिया।

कोर्ट ने इस मामलें की सुनवाई करते राज्य की सीआईडी को दो सप्ताह में  सारे कागजात व रिकार्ड सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था।गौरतलब है कि  यशी सिंह  मुजफ्फरपुर के एल एन मिश्रा इंस्टिट्यूट से एमबीए कर रही थी।

दिसंबर,2022 में यशी सिंह  का अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया।इसकी प्राथमिकी सदर थाना,मुजफ्फरपुर में  दर्ज कराई गई ।स्थानीय पुलिस ने इसका अनुसन्धान प्रारम्भ किया।

लेकिन पुलिस द्वारा सही ढंग से अनुसन्धान नही करने व बिलम्ब होने के कारण इस अपहरण कांड को सुलझाने की जिम्मेदारी राज्य सीआईडी को कोर्ट ने सौंपा।

मुजफ्फरपुर पुलिस ने लम्बे समय तक अनुसन्धान करती रही,पर नतीजा शून्य ही  रहा।23 अप्रैल,2023 को अपहरित छात्रा के परिजनों ने  पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने इस मामलें की जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपा था। लेकिन सीआईडी द्वारा गठित एसआईटी डेढ़ वर्ष तक रिपोर्ट कोर्ट में  प्रस्तुत करती रही,लेकिन लड़की का कोई सुराग नहीं मिल पाया।

इसके बाद कोर्ट ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपते हुए चार सप्ताह में जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।इस मामलें पर अगली सुनवाई 20दिसम्बर,2024 को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरविन्द कुमार व सीबीआई की ओर से अधिवक्ता अवनीश कुमार सिंह राणा ने पक्षों को कोर्ट के समक्ष रखा।


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