बिहार के शिक्षकों को ट्रांसफर पॉलिसी से राहत नहीं, टीचरों को चार कैडर में बांटकर टॉर्चर कर रहा शिक्षा विभाग, जानें वजह

स्थानांतरण नीति विवाद के समाधान के लिए सरकार और शिक्षक संगठनों के बीच संवाद जरूरी है ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के साथ-साथ शिक्षकों का मनोबल भी ऊंचा बना रहे।

बिहार के शिक्षकों को ट्रांसफर पॉलिसी से राहत नहीं,  टीचरों को चार कैडर में बांटकर टॉर्चर कर रहा शिक्षा विभाग, जानें वजह

Bihar teacher news: बिहार में शिक्षकों की नई स्थानांतरण नीति को लेकर असंतोष और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। न्यायालय द्वारा स्थानांतरण पर रोक और उसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से पेश की गई नई स्थानांतरण नीति ने शिक्षकों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

नई स्थानांतरण नीति के चार कैडर

बिहार सरकार ने शिक्षकों को चार अलग-अलग कैडरों में बांटते हुए नई स्थानांतरण नीति लागू की है। इन कैडरों के आधार पर शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया तय की जाएगी:

ग्रेड पे कैडर:

इस कैडर के शिक्षकों का तबादला किसी भी स्कूल में किया जा सकता है।

स्थानांतरण का अधिकार जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को दिया गया है।

नियोजित शिक्षक कैडर:

इन शिक्षकों का स्थानांतरण केवल उनके नियोजन क्षेत्र (ग्राम पंचायत, प्रखंड या जिला) के भीतर ही हो सकता है।

अन्यत्र तबादले की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है।

बीपीएससी शिक्षक कैडर:

बीपीएससी शिक्षक वर्तमान में प्रोबेशन पीरियड पर हैं।

इनका स्थानांतरण राज्य के किसी भी स्कूल में किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए विशेष सरकारी आदेश की आवश्यकता होगी।

विशिष्ट शिक्षक कैडर:

वे शिक्षक जो सक्षमता परीक्षा पास कर चुके हैं और स्थायी नियुक्ति के तहत राज्यकर्मी का दर्जा रखते हैं।

इनका स्थानांतरण स्थायी नियमों के तहत किया जाएगा।

शिक्षक समुदाय की समस्याएं और शिकायतें

1. असमानता और अन्याय का आरोप:

अखिल भारतीय शैक्षिक संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने इस नीति को शिक्षकों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने इसे शिक्षा व्यवस्था सुधारने की बजाय शिक्षकों पर "जुल्म" और "मनमानी" बताया।

2. डोमिसाइल नीति पर विवाद:

डोमिसाइल नीति को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए शिक्षक संगठनों ने इसकी आलोचना की है।

दूरदराज इलाकों में पदस्थापित शिक्षकों को घर के करीब तबादले की मांग है।

महिला शिक्षक, दिव्यांग, गंभीर बीमारी से पीड़ित शिक्षक, और पति-पत्नी के स्थानांतरण के लिए विशेष प्रावधान की मांग उठाई जा रही है।

3. ऐच्छिक स्थानांतरण की मांग:

शिक्षकों का कहना है कि ऐच्छिक स्थानांतरण की व्यवस्था लागू होनी चाहिए ताकि उन्हें अपने घर के करीब स्थानांतरण का विकल्प मिल सके।

शिक्षक संघों का विरोध

शिक्षक समुदाय नई नीति के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहा है।

बिहार शिक्षक संघ ने इसे "गैर-कानूनी" और "मनमाना" बताते हुए सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है।

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हस्तक्षेप कर नीति में सुधार की अपील की है।

मौजूदा स्थिति

शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया को लेकर न्यायालय की फटकार के बाद आनन-फानन में नीति तैयार की गई है।

इसमें पारदर्शिता की कमी और प्रावधानों की अस्पष्टता शिक्षकों के बीच असंतोष बढ़ा रही है।

मुख्य सवाल और चुनौतियां

दूरी की समस्या:

कई शिक्षक अपने घर से 100-400 किमी दूर स्कूलों में पदस्थापित हैं।

उनके लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

पारदर्शिता:

नीति में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी से रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का डर है।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग:

शिक्षक संगठनों का कहना है कि मुख्यमंत्री को ऐच्छिक स्थानांतरण की नीति लागू करने का आदेश देना चाहिए।

निष्कर्ष और सुझाव

नई स्थानांतरण नीति ने शिक्षक समुदाय में असंतोष और भ्रम की स्थिति पैदा की है। सरकार को चाहिए कि:

सभी शिक्षकों के लिए ऐच्छिक स्थानांतरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित की जाए।

शिक्षकों की समस्याओं को समझते हुए डोमिसाइल नीति को पुनः विचार करें।

स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।

इस विवाद के समाधान के लिए सरकार और शिक्षक संगठनों के बीच संवाद जरूरी है ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के साथ-साथ शिक्षकों का मनोबल भी ऊंचा बना रहे।

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