Bihar News: बिहार-यूपी की दूरी 125 किमी होगी कम, गंडक नदी पर 4 लेन 10.5 किलोमीटर लंबा पुल का होगा निर्माण, 3 हजार करोड़ होगा खर्च
Bihar News: बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गंडक नदी पर 10.5 किलोमीटर लंबा एक 4 लेन पुल का निर्माण किया जाएगा। यह पुल बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मनुआपुल और उत्तर प्रदेश के पिपराघाट के बीच बनाया
Bihar News: बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच की दूरी अब कम हो जाएगी। गंडक नदी पर 4 लेन 10.5 किलोमीटर लंबा पुल बनेगा। इस पुल के निर्माण में 3 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। दरअसल, बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गंडक नदी पर 10.5 किलोमीटर लंबा एक 4 लेन पुल का निर्माण किया जाएगा। यह पुल बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मनुआपुल और उत्तर प्रदेश के पिपराघाट के बीच बनाया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
परियोजना के मुख्य बिंदु
पुल की कुल लंबाई 10.5 किलोमीटर होगी। यह पुल बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मनुआपुल और उत्तर प्रदेश के पिपराघाट के बीच बनाया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने पुल और हाइवे निर्माण की मंजूरी दे दी है। वहीं पुल निर्माण के लिए आवश्यक जमीन के लिए 3-डी अधिसूचना भी शीघ्र जारी हो जाएगी। बता दें कि, गंडक नदी, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भैसालोटन (नेपाल) से चलकर सारण जिले के सोनपुर में गंगा से संगम करती है। नदी के इस 260 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच में यह 11वां पुल होगा।
फायदे
बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क बेहतर होगा। बेतिया से गोरखपुर और कुशीनगर की दूरी कम होगी। क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पुल के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि के लिए 3-डी अधिसूचना जारी की जाएगी।
3-डी अधिसूचना क्या होती है?
3-डी अधिसूचना पुल निर्माण के लिए अधिगृहीत की जाने वाली रैयतों की जमीन का ब्योरा होता है। इसके प्रकाशन के पश्चात भू-अर्जन और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसमें ना ही कोई फेरबदल किया जा सकता है और ना ही रैयत, जमीन के मुआवजे को छोड़ कोई अन्य दावा-आपत्ति नहीं कर सकते हैं।
क्यों है यह परियोजना महत्वपूर्ण?
यह परियोजना बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क को बेहतर बनाएगी। इससे दोनों राज्यों के लोगों को आवागमन में आसानी होगी और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बिहार में 27 और उत्तर प्रदेश में 2 किलोमीटर हाइवे बन रहा है, बेतिया से गोरखपुर की दूरी 35 किलोमीटर कम होगी। कुशीनगर और गोरखपुर एयरपोर्ट से बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आना-जाना आसान होगा। क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
दूरी हो जाएगी काम
शेरवही नेशनल हाइवे (727एए) 29 किलोमीटर लंबा है। बिहार में 27 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश में 2 किलोमीटर है। इस पुल के बन जाने से बिहार के बेतिया से यूपी के गोरखपुर और कुशीनगर की दूरी घट जाएगी। अभी बेतिया से गोरखपुर जाने के लिए गौतम बुद्ध सेतु (धनहा-रतवल) या गोपालगंज (जादोपुर) पुल होते हुए करीब 160 किमी तय करना पड़ता है। नया पुल बनते ही गोरखपुर की दूरी 125 किमी हो जाएगी।
कुशीनगर की दूरी हो जाएगी कम
वहीं कुशीनगर की दूरी 103 किलोमीटर की जगह 73 किलोमीटर हो जाएगी। कुशीनगर और गोरखपुर एयरपोर्ट से बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आना आसान होगा। इसके साथ ही पश्चिम चंपारण से गोपालगंज जिले के पश्चिमी इलाके विजयीपुर, कुचायकोट, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के बल्थरी चेक पोस्ट के साथ ही यूपी के तमकुही राज, फाजिलनगर, सलेमगढ़ समेत अन्य इलाकों की दूरी घटेगी।