शारदा सिन्हा को जब गाना गाने पर सास ने पिलाई डांट,घर की बहु बाहर जाकर गाना नहीं गाती तुम भी नहीं गाओगी....2 दिन तक नहीं खाया खाना..
शारदा सिन्हा का संगीतमय जीवन उनकी नानी, सास और पति के सहयोग से बना। उनकी लोकगीतों की आवाज और छठ पर्व के गीतों में छिपी आत्मीयता ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया।
Sharda Sinha Death: लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। पिछले 11 दिनों से 26 अक्टूबर से वे अस्पताल में भर्ती थीं। उनके चाहने वाले उनकी सेहत के लिए प्रार्थना कर रहे थे। शारदा सिन्हा का संगीतमय जीवन संघर्ष और समर्पण से भरा रहा है। हिंदी, मैथिली, और भोजपुरी भाषाओं में गीत गाकर उन्होंने छठ पूजा और अन्य पारंपरिक गीतों के माध्यम से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई।
बचपन से संगीत में रुचि और शुरुआती संघर्ष
शारदा सिन्हा को बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि थी, जिसे देखकर उनके पिता ने उन्हें भारतीय नृत्य कला केंद्र में प्रवेश दिलवाया। शादी के बाद उनकी सास ने गाने पर पाबंदी लगाई, लेकिन उनके पति बृजकिशोर सिन्हा और ससुर ने उनका साथ दिया। ससुर जी की प्रेरणा से उन्हें ठाकुरबाड़ी में भजन गाने का अवसर मिला, जिससे उनके संगीत सफर की शुरुआत हुई।
ठाकुरबाड़ी में भजन गाने पर सास ने लगाई डांट
लोक गायिका शारदा सिन्हा की सास से जुड़ा एक बहुत फेमस किस्सा है, जब गाना गाने पर उनकी सास ने उनको डांटा था। शारद सिन्हा ठाकुरबाड़ी में भजन गाती थी। इसकी वजह से ही उनको उनकी सास ने डांटते हुए कहा था कि घर की बहु बाहर जाकर गाना नहीं गाती तुम भी नहीं गाओगी। इसके बाद शारदा सिन्हा की सास ने अगले 2 दिन तक नहीं खाना नहीं खाया था।
HMV से गाने का पहला मौका
1971 में शारदा सिन्हा को लखनऊ में एचएमवी की प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला। यहां पर ऑडिशन में कई परेशानियों का सामना करने के बाद, उनके पति के आग्रह पर एचएमवी के अधिकारियों ने उन्हें गाने का दूसरा मौका दिया। उनकी आवाज सुनकर अधिकारियों ने तुरंत उनका गाना रिकॉर्ड करने का निर्णय लिया, और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।