Prashant Kishor : प्रशांत किशोर पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर गाँववालों का फूटा गुस्सा, आन्दोलनकारियों की मनोबल तोड़ने का बताया साजिश

Prashant Kishor : प्रशांत किशोर पर कार्रवाई को लेकर उनके गाँव के लोगों में खासा आक्रोश है. उन्होंने साफ तौर पर कहा यह साजिश के तहत पुलिस ऐसी कार्रवाई कर रही है. इससे प्रशांत किशोर पीछे हटनेवाले नहीं है....पढ़िए आगे

Prashant Kishor : प्रशांत किशोर पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर गाँववालों का फूटा गुस्सा, आन्दोलनकारियों की मनोबल तोड़ने का बताया साजिश
पीके के गाँव में आक्रोश - फोटो : RANJAN

SASARAM : बिहार के राजनीति के चर्चित चेहरा प्रशांत किशोर, इन दिनों बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान में अनशन कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने आधी रात को उन्हें जबरन गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। इस घटना के बाद उनके पैतृक गांव, रोहतास जिले के कोनार, में आक्रोश और समर्थन का माहौल बना हुआ है। हालाँकि उन्हें अब जमानत मिल गयी है। 

देश के दूसरे भगत सिंह हैं प्रशांत किशोर

कोनार गांव में प्रशांत किशोर के पैतृक निवास की देखरेख करने वाले केदार पांडे ने मीडिया से बातचीत में कहा की प्रशांत किशोर इस देश के दूसरे भगत सिंह हैं। छात्रों के भविष्य के लिए वह अपनी जान की कुर्बानी देने को भी तैयार हैं। उनका संघर्ष केवल छात्रों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए है। उन्होंने यह भी बताया कि गांव का हर व्यक्ति उनके साथ खड़ा है और जरूरत पड़ी तो पूरा राज्य उनके समर्थन में सड़कों पर उतर सकता है।

पुलिस कार्रवाई पर आक्रोश

केदार पांडे ने पुलिस की कार्रवाई को "साजिश" करार देते हुए कहा कि यह कदम प्रशांत किशोर और उनके आंदोलन का मनोबल तोड़ने की कोशिश है। लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि प्रशांत किशोर इन हरकतों से डरने वाले नहीं हैं और अपने आंदोलन को और मजबूती के साथ आगे बढ़ाएंगे। वहीं, गांव के एक अन्य निवासी उमेश पांडे ने कहा, "संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ जाकर किसी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी को आधी रात को जबरन उठाना लोकतंत्र का अपमान है।" उन्होंने आगे कहा कि यह कार्रवाई न केवल प्रशांत किशोर के प्रति अन्याय है, बल्कि उन लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, जिनके हित में यह आंदोलन किया जा रहा है।

प्रशांत किशोर के गांव-कोनार

प्रशांत किशोर का बचपन कोनार गांव में ही बीता है। हालांकि अब वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं, लेकिन उनका गांव से गहरा जुड़ाव है। जब भी वह गांव आते हैं, तो बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना और गांव की समस्याओं पर ध्यान देना नहीं भूलते। इस बार भी उनके गांव के लोग उनके संघर्ष को पूरी तरह समर्थन दे रहे हैं। उनके गांव और समर्थकों की एकजुटता यह दर्शाती है कि उनका संघर्ष अकेला नहीं है। यह देखना बाकी है कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाते हैं, लेकिन कोनार गांव के लोग यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे हर हाल में प्रशांत किशोर के साथ खड़े रहेंगे।

सासाराम से रंजन की रिपोर्ट


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