Bihar education department: बिहार में शिक्षा के गुण को कलंकित करते अधिकारी! लखीसराय में सैकड़ों योजनाओं में दिखा गड़बड़झाला, फेक सिग्नेचर का भी भंडाफोड़
बिहार के लखीसराय जिले में शिक्षा विभाग की 700 से अधिक योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ी उजागर हुई है। डीएम मिथिलेश मिश्रा ने जांच के आदेश दिए, दोषियों पर FIR और एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट करने का निर्देश।

Bihar lakhisarai education department: बिहार के लखीसराय जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है, जिसने सरकारी कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 700 से अधिक विद्यालय योजनाओं में अनियमितता की शिकायत के बाद जिलाधिकारी मिथिलेश मिश्रा ने 84 अधिकारियों की जांच टीम बनाकर 734 योजनाओं की जांच शुरू कराई है।
अब तक हुई जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। 90 योजनाएं ऐसी पाई गईं जिनमें धरातल पर कोई काम नहीं हुआ, लेकिन एमबी बुक (Measurement Book) में उन्हें पूरा दिखा दिया गया और बिल का भुगतान कर लिया गया। इतना ही नहीं, कई योजनाएं अधूरी हैं, फिर भी उन्हें पूर्ण मानकर ट्रेजरी को भुगतान के लिए भेजा गया था, जिसे अब रोक दिया गया है।
डीएम की चेतावनी: दोषियों पर FIR, एजेंसियां होंगी ब्लैकलिस्ट
डीएम मिथिलेश मिश्रा ने इस पूरे मामले में सख्त रुख अपनाते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी को दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि जो एजेंसियां फर्जी बिलिंग और अधूरे कार्य के बावजूद भुगतान लेने में संलिप्त हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।शनिवार को प्रेस को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि कई योजनाएं कागज पर पूरी दिखा दी गई हैं जबकि जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का मामला है।
नकली हस्ताक्षर और फर्जी संचिकाएं
जांच टीम की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 35 योजनाओं की संचिकाएं फाइल में मौजूद नहीं हैं, और उनमें जो स्कूल प्रिंसिपल के हस्ताक्षर हैं, वे फर्जी पाए गए हैं। अब जांच इस दिशा में भी की जा रही है कि ये नकली हस्ताक्षर किस अधिकारी या कर्मचारी द्वारा किए गए हैं।यह घोटाला महज कागजी हेराफेरी नहीं बल्कि बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को धोखा देने जैसा कृत्य है, जिसमें सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग किया गया।
महागठबंधन का आक्रोश मार्च: सियासी घमासान शुरू
इस मामले ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। महागठबंधन के घटक दलों ने इस घोटाले के विरोध में सोमवार को आक्रोश मार्च निकाला। यह मार्च विद्यापीठ चौक से समाहरणालय तक गया, जिसमें शहर के मुख्य मार्गों पर प्रदर्शन करते हुए घोटाले के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर सही से लागू नहीं किया जा रहा और इसमें मिलीभगत से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
जांच रिपोर्ट 22 अप्रैल तक सौंपने का निर्देश
डीएम ने सभी 42 टीमों के 84 अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि वे जिला गोपनीय शाखा से सभी संबंधित अभिलेख प्राप्त कर 22 अप्रैल तक जांच रिपोर्ट सौंपें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “इस तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”