शादीशुदा औरत का अनोखा इश्क, मोहब्बत के नाम पर जमकर हुआ हंगामा, प्यार का दरवाज़ा भी हो गया बंद

Love Affair:जूली कुमारी नाम की एक शादीशुदा औरत, जिसने दो बरस पहले शादी हुई थी,अचानक अपने पड़ोसी प्रेमी के दरवाज़े पर पहुँच गई और वहाँ घंटों तक हाई वोल्टेज ड्रामा करती रही।..

शादीशुदा औरत का अनोखा इश्क- फोटो : reporter

Love Affair:  शादीशुदा औरत के इश्क़ का किस्सा न केवल मोहल्ले भर की गपशप का सामान बना बल्कि पूरे क़स्बे में इज़्ज़त, हवस और मोहब्बत के दरमियान खींचतान का मंर भी पेश कर गया।मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के सकरा थाना क्षेत्र के गन्नीपुर बैझा पंचायत में रविवार को जो नज़ारा देखने को मिला, उसे किसी मेलोड्रामा से कम नहीं कहा जा सकता।दरअसल, जूली कुमारी नाम की एक शादीशुदा औरत, जिसने दो बरस पहले मनीष कुमार से सात फेरे लिए थे, अचानक अपने पड़ोसी विशाल कुमार के दरवाज़े पर पहुँच गई और वहाँ घंटों तक हाई वोल्टेज ड्रामा करती रही। इधर शोर शराबा, उधर भीड़ का जमघट, और फिर पुलिस की दख़लअंदाज़ी पूरा मंज़र किसी सस्ते धारावाहिक की तरह पेश हुआ।

जूली कुमारी का दावा है कि विशाल कुमार ने यह जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है, पहले दबाव डालकर बातचीत शुरू की। फिर यह बातचीत मोहब्बत की कहानी में तब्दील हो गई। जूली के मुताबिक, बात इतनी आगे बढ़ गई कि वह अपने घर-परिवार को छोड़कर प्रेमी के दरवाज़े तक पहुँच गई। लेकिन किस्मत का तमाशा देखिए जिस घर की चौखट पर जूली ने मोहब्बत का आशियाना बनाने का ख़्वाब देखा था, उसी चौखट से उसे ठुकरा कर भगा दिया गया।

जूली की सास, मंजू देवी, पहले ही बहू की लंबी-लंबी मोबाइल वार्ताओं से शक में थीं। उनका कहना है कि बहू अपने पति से रोज़ाना झगड़ती थी और किसी अजनबी से घंटों बातें करती थी। एक दिन जब मंजू देवी ने मोबाइल छीन लिया, तभी से घर में तनाव की चिंगारी सुलग उठी। तीन दिन बाद ही जूली अपने गहनों-जेवरात के साथ घर छोड़ने को तैयार हो गई। जब सास ने पूछा “कहाँ जा रही हो?” तो जूली का बेबाक जवाब था “मैं अपने प्यार के पास जा रही हूँ, अब इस घर में नहीं रहूँगी।”

मगर जब जूली अपने प्रेमी विशाल कुमार के घर पहुँची तो वहाँ भी उसे “मोहब्बत की पनाह” नहीं मिली। विशाल के घरवालों ने साफ़ कह दिया कि यह रिश्ता उनके लिए इज़्ज़त का ताजिया बन जाएगा। जूली को न सिर्फ़ घर में घुसने से रोका गया, बल्कि मारपीट कर भगाया भी गया। नतीजा ससुराल से पहले ही नाता टूटा, मायके ने मुँह मोड़ा, और प्रेमी के घर ने भी दरवाज़े बंद कर दिए।

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज़्यादा सवाल खड़ा होता है कि इज़्ज़त आखिर किसकी टूटी? जूली की, जो मोहब्बत की तलाश में भटकती रही? मनीष की, जिसने अपने परिवार का गुज़ारा करने के लिए घर छोड़ा और बदले में पत्नी की बेवफ़ाई पाई? या फिर मंजू देवी की, जिनकी बहू ने उनके आँगन में बदनामी की चिंगारी जला दी?

मोहब्बत अगर पाक़ीज़ा हो तो वह ज़िंदगी को नई रोशनी देती है, लेकिन अगर उसमें हवस और मजबूरी का तड़का लग जाए तो वह घर तोड़ने और इज़्ज़त मिटाने का सबब बन जाती है। जूली की हालत आज उस कहावत जैसी है “न घर की रही, न घाट की।” ससुराल ने ठुकरा दिया, प्रेमी ने अपनाने से इनकार कर दिया और अब समाज ने भी उसकी ओर उँगली उठानी शुरू कर दी। पुलिस ने बेशक उस दिन हंगामा शांत करा दिया हो, लेकिन यह सवाल अब भी गली-मोहल्लों में गूंज रहा है कि प्यार के नाम पर की गई बग़ावत औरत को कितनी आज़ादी देती है और कितना अपमान बटोरने पर मजबूर करती है।

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा