Bihar Assembly Session: विधानमंडल के मानसून सत्र में पेश होंगे 12 विधेयक , युवाओं-कामगारों पर फोकस, विपक्ष से टकराव तय
Bihar Assembly Session:बिहार विधानसभा का सत्र आज से शुरु हो रहा है जो पाँच दिन का होगा, पर इसकी प्रतिध्वनि आगामी चुनावों तक गूँजने वाली है।सत्र में पेश 12 विधेयक होंगे
Bihar Assembly Session:बिहार विधानसभा का सत्र आज से शुरु हो रहा है जो पाँच दिन का होगा, पर इसकी प्रतिध्वनि आगामी चुनावों तक गूँजने वाली है। नीतीश सरकार अपने कार्यकाल के इस अंतिम मानसून सत्र को "कानूनों की बारिश" बना देना चाहती है, वहीं विपक्ष इस मंच पर सरकार की कथनी-करनी का पर्दाफाश करने को तत्पर है।
आज से प्रारंभ हो रहे इस सत्र में सरकार दर्जनों विधेयकों को लेकर सदन में उतर रही है कुछ संशोधन की शक्ल में, कुछ पूर्णतः नवजात कलेवर में। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक 2025, जो न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक करोड़ युवाओं को रोजगार देने की मंशा को जमीन देगा, बल्कि राज्य में कौशल विकास का संस्थागत युग प्रारंभ करेगा।
वहीं दूसरी ओर, श्रम संसाधन, भूमि राजस्व, नगर विकास जैसे विभागों के विधेयक उस समाज की रेखाचित्र को संबोधित करेंगे, जो थक चुका है न्याय की प्रतीक्षा में, रोज़गार की बाट में, सम्मान की अपेक्षा में।
विशेष भूमि सर्वेक्षण विधेयक, जिसमें अब निर्णयों के लिए प्रमंडल स्तर पर अपीलीय व्यवस्था का प्रस्ताव है, ज़मीन के विवादों में नये न्यायिक क्षितिज खोलेगा। शहरी सर्वेक्षण का प्रस्ताव उस शहरीकरण को पहचान देता है, जो गाँवों की छांव से निकलकर नगरों की चकाचौंध में खो गया था।
छोटे दुकानों में काम करने वाले श्रमिकों और गीग इकोनॉमी के नव-दासों (स्वीगी, जोमैटो आदि में कार्यरत) के लिए भी सरकार नये सेवा शर्तों की रूपरेखा ला रही है। क्या ये महज़ चुनावी घोषणाओं का लिप्त कागज़ हैं, या वास्तव में सामाजिक न्याय का नवीन अध्याय?
विधान परिषद और विधानसभा में ये प्रस्तावित विधेयक एक बड़ी वैधानिक क़वायद तो हैं ही, साथ ही इस बात का संकेत भी कि सरकार अपने राजनीतिक पथ की अंतिम यात्रा से पहले कुछ ठोस छोड़ जाना चाहती है।
जैसा कि संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि "इसी सत्र की स्मृतियाँ लेकर जनता की अदालत में जाएंगे। मुद्दे उठें, पर प्रक्रिया के साथ। जवाब हर सवाल का मिलेगा।"
अब देखना यह है कि इस ‘सत्र-संवाद’ की गाथा लोकतंत्र के इतिहास में ‘विधेयकों का विजन’ कहलाएगी या ‘वोट का व्याकरण’।