191 साल पहले जब 36 बिहारी मजदूरों ने बसाया था पूरा देश, आज बन गया है भारत का सबसे बड़ा FDI स्रोत

1834 में बिहार से मॉरीशस गए 36 मजदूरों ने तस्वीर बदल दी। गन्ने के खेतों से निकलकर वे खुशहाली तक पहुंचे और आज नतीजा यह है कि मॉरीशस भारत का सबसे बड़ा FDI स्रोत बन गया है।

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साल 1834 की बात है, जब भारत के बिहार से 36 मजदूरों का एक समूह एक अनजान देश की ओर निकल पड़ा। वे एक नई जिंदगी की तलाश में थे, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। ब्रिटिश सरकार के आदेश पर इन मजदूरों को एक अनुबंध के तहत मॉरीशस भेजा गया था। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन 36 मजदूरों की मेहनत और संघर्ष आने वाले सालों में मॉरीशस की सूरत बदल देगा। आज 191 साल बाद मॉरीशस न सिर्फ एक समृद्ध राष्ट्र बन चुका है, बल्कि भारत का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का स्रोत भी है।


कैसे शुरू हुआ यह ऐतिहासिक पलायन?

19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य को अपनी औपनिवेशिक बस्तियों में काम करने के लिए मजदूरों की जरूरत महसूस हो रही थी। उस दौर में गन्ने के खेतों में काम करने के लिए भारतीय मजदूरों की भर्ती की गई और उन्हें अनुबंध के तहत मॉरीशस भेजा गया। 2 नवंबर 1834 को भारत से पहले जत्थे के रूप में 36 बिहारी मजदूरों का एक समूह मॉरीशस पहुंचा। उनकी यात्रा लंबी, कठिन और संघर्षों से भरी थी।


मजदूर से लेकर पूरे देश की नींव रखने तक का सफर

शुरुआती दिनों में इन मजदूरों को बहुत मुश्किल हालातों में काम करना पड़ता था। मॉरीशस में वे गन्ने के खेतों में दिन-रात काम करते थे। खराब मौसम, अपर्याप्त भोजन और ब्रिटिश मालिकों के कठोर व्यवहार के बावजूद इन मजदूरों ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। समय बीतने के साथ इन भारतीय मजदूरों ने मॉरीशस में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने न केवल काम किया, बल्कि वहां के समाज में अपनी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और त्योहारों को भी शामिल किया।


भारतीयों ने मॉरीशस की अर्थव्यवस्था को कैसे बदला?

भारतीय मजदूरों की मेहनत ने मॉरीशस को चीनी उत्पादन का केंद्र बना दिया। गन्ना उद्योग के फलने-फूलने के पीछे इन प्रवासी मजदूरों का ही हाथ था। धीरे-धीरे उनके वंशजों ने शिक्षा, व्यापार और राजनीति में भी जगह बनाई। आज मॉरीशस की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का है और वे इस देश के सबसे प्रभावशाली वर्गों में से एक हैं।


मॉरीशस के साथ भारत के मजबूत रिश्ते - सबसे बड़ा एफडीआई स्रोत

मॉरीशस न केवल सांस्कृतिक रूप से भारत के करीब है, बल्कि आर्थिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का 25% मॉरीशस से आता है। वर्ष 2000 से 2024 के बीच भारत को मॉरीशस से लगभग 177.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ है। यह योगदान भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।


मॉरीशस में आज भी भारतीय संस्कृति और त्योहारों की झलक

आज भी मॉरीशस में भारतीय संस्कृति की छाप देखी जा सकती है। यहां दिवाली, होली, गणेश चतुर्थी और नवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। भोजपुरी भाषा मॉरीशस के कई लोगों की मातृभाषा बन गई है। भारतीय भोजन का भी वहां की संस्कृति में गहरा प्रभाव है। 1834 में बेहतर जीवन की तलाश में मॉरीशस पहुंचे मजदूरों ने न केवल अपनी किस्मत बदली बल्कि एक पूरे देश की नींव भी रखी। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने मॉरीशस को एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर देश बनाया। आज भारतीय मूल के लोग वहां की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में ऊंचे पदों पर हैं।

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