Bihar News: बिहार के इन 11 जिलों में 510 लोगों को किसने मार डाला,पुलिस भी जांच में नहीं कर रही सहयोग..रो रो कर मौत का राज तलाशने में जुट हैं परिजन..
कोसी-सीमांचल और पूर्वी बिहार के 11 जिलों में पिछले तीन सालों में 510 से अधिक लोग हिट एंड रन का शिकार हुए। मुआवजा मिलने के बावजूद परिजन न्याय की तलाश में हैं।
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Bihar News: कोसी-सीमांचल और पूर्वी बिहार के 11 जिलों में पिछले तीन सालों में 510 से अधिक लोग हिट एंड रन घटनाओं का शिकार हुए हैं। इन हादसों में धक्का मारने वाली गाड़ियों का कोई सुराग नहीं मिलता, जिससे पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा और न्याय पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
न्याय की आस में परिजन
हिट एंड रन मामलों में पीड़ितों के परिजन अब तक यह समझ नहीं पाए हैं कि हादसा कैसे और किसकी गलती से हुआ। गाड़ियों का सुराग न मिलने के कारण, स्थानीय पुलिस और परिवहन विभाग भी खास मदद नहीं कर पाते हैं। हालांकि, अधिकतर पीड़ित परिवारों को मुआवजा की राशि मिल चुकी है, लेकिन हादसे का सही जवाब अब भी अधूरा है।
मुआवजे की प्रक्रिया
पूर्णिया के जिला परिवहन पदाधिकारी शंकर शरण ओमी के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में मौत के मामलों में मुआवजा निर्धारित करने का काम कमिश्नरी स्तर पर स्थापित ट्रिब्यूनल करता है। हिट एंड रन मामलों में मृतक के परिवार को कम-से-कम दो लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है, जबकि अगर धक्का मारने वाली गाड़ी पकड़ी जाती है, तो मुआवजा की राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी जाती है। यह मुआवजा सामान्य बीमा कंपनियों द्वारा दिया जाता है।
हिट एंड रन के आंकड़े
पूर्णिया: 82 मामले
भागलपुर: 53 मामले
अररिया: 31 मामले
लखीसराय: 52 मामले
सहरसा: 18 मामले
किशनगंज: 62 मामले
मधेपुरा: 22 मामले
खगड़िया: 44 मामले
सुपौल: 61 मामले
मुंगेर: 33 मामले
बांका: 52 मामले
मुआवजा मिलने के बावजूद अनसुलझे सवाल
मुआवजा मिलने के बावजूद पीड़ित परिवारों के दिलों में अब भी जख्म भरे नहीं हैं। परिजन हिट एंड रन की घटनाओं के पीछे के कारण और जिम्मेदार व्यक्ति को जानने के लिए अब भी इंतजार कर रहे हैं।