बिहार विधानसभा चुनाव में जनसुराज के 99.16 परसेंट उम्मीदवारों के जमानत जब्त, जानें पार्टी के बड़े प्रत्याशियों का हाल

Patna - बिहार चुनाव के नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है। जहां बीजेपी ने तमान अनुमान को गलत साबित करते हुए 90 के स्ट्राइक रेट से  89 सीटों पर कब्जा  कर लिया। वहीं जदयू की स्ट्राइक रेट काफी बेहतर रही। इन सबके बीच प्रशांत किशोर के जनसुराज के प्रत्याशियों का स्ट्राइक रेट भी 99.16 परसेंट रहा। हालांकि यह प्रदर्शन सीटों के जीतने का नहीं, बल्कि जमानत जब्त कराने में रहा। चुनाव में पार्टी  का  प्रदर्शन बेहद खराब रहा। जितनी भीड़ सभाओं में जुटी, वह वोट में नहीं बदल पाई। 

पार्टी ने राज्य की कुल 238 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इनमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यह दर्शाता है कि जन सुराज के 99.16% प्रत्याशी चुनाव जीतने तो दूर, अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा पाए।

दो फ़ीसदी वोट पर सिमटा 'जन सुराज'

जन सुराज का प्रदर्शन अत्यंत निराशाजनक रहा। पूरे राज्य में पार्टी का कुल वोट प्रतिशत महज 2% के आसपास रहा। 238 सीटों पर लड़ने के बावजूद, पार्टी बड़े पैमाने पर मतदाताओं को आकर्षित करने में विफल रही। इसका साफ मतलब है कि चुनावी मैदान में उतरने के PK के प्रयोग को बिहार की जनता ने नकार दिया है। यह परिणाम जन सुराज के लिए एक बड़ा झटका है, जिसकी शुरुआत बड़े वादों और प्रचार के साथ की गई थी।

हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार भी रहे बेअसर

पार्टी के कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों को भी निराशा हाथ लगी, जो जनता को अपनी तरफ लुभा नहीं सके। करगहर से रितेश पांडे (16,258 वोट), कुम्हरार से के.सी. सिन्हा (15,000 वोट), जोकीहाट से सरफराज आलम (35,234 वोट) और चनपटिया से मनीष कश्यप (37,117 वोट) जैसे चर्चित नामों को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। पूरे राज्य में, केवल मढ़ौरा के नवीन कुमार सिंह ही एकमात्र उम्मीदवार रहे जो रनर-अप (दूसरे स्थान) तक पहुँच सके, जिन्हें 58,170 वोट मिले। बाकी 230 से अधिक सीटों पर जन सुराज लगभग प्रभावहीन रहा और कई जगह तो उसके उम्मीदवार हजार वोट भी नहीं ला सके।

सोशल मीडिया तक सीमित रही PK की रणनीति

चुनाव के दौरान बिहार में विकास और रोजगार जैसे कई मुद्दों की एक पूरी फेहरिस्त सामने आई थी, जिन पर सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक खूब चर्चा हुई। हालांकि, प्रशांत किशोर इन मुद्दों को वोटों में बदलने में पूरी तरह असफल रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि PK के पास सोशल मीडिया पर तो मजबूत प्रचार तंत्र था, लेकिन जमीन पर काम करने वाला मजबूत सांगठनिक ढांचा मौजूद नहीं था, जो इन चर्चाओं को वास्तविक वोटों में तब्दील कर पाता।

'ट्रस्ट फैक्टर' ने एनडीए को बनाया वरदान

जन सुराज के मुद्दों को वोटों में बदलने में विफल रहने का सीधा फायदा एनडीए को मिला। जनता को जिन सवालों के जवाब चाहिए थे, उन सवालों के समाधान और विकास का विश्वास लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में ही देखा। उनका 'ट्रस्ट फैक्टर' तमाम नए और पुराने नेताओं में सबसे ज्यादा रहा, और यही कारण रहा कि जन सुराज द्वारा उठाए गए मुद्दे अंततः एनडीए के लिए वरदान साबित हुए, जिससे PK की पार्टी की करारी हार हुई।

हाई-प्रोफाइल नाम भी जनता को नहीं लुभा सके

रितेश पांडे (करगहर) – 3rd position, 16,258 वोट

के.सी. सिन्हा (कुम्हरार) – 3rd position, 15,000 वोट

सरफराज आलम (जोकीहाट) – 3rd position, 35,234 वोट

मनीष कश्यप (चनपटिया) – 3rd position, 37,117 वोट

पूरे राज्य में सिर्फ़ एक उम्मीदवार - मढ़ौरा के नवीन कुमार सिंह - रनर-अप रहे, जिन्हें 58,170 वोट मिले. बाकी 230+ सीटों पर जन सुराज प्रभावहीन रहा. कई जगह PK को हजार वोट भी नहीं मिले