Patna highcourt - निजी गाड़ियों पर सरकारी पदों का नेमप्लेट लगा रहे न्यायिक पदाधिकारी, डर से कोई पुलिसकर्मी नहीं करता कार्रवाई, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

Patna highcourt - निजी गाड़ियों पर सरकारी पद का नेमप्लेट लगाकर घूमनेवाले न्यायिक अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट में वाद दर्ज कराया गया है।

Patna - पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों के सभी स्तर के न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा   अपने अपने निजी वाहनों पर   नेमप्लेट/बोर्ड लगवाने के मामलें मोटर वाहन कानून 1988 और  हाई कोर्ट के आदेश का  किए जा रहे उल्लंघन  और उसे रोकने और ऐसा नेमप्लेट/बोर्ड उनकी निजी गाड़ी पर से हटवाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

चीफ जस्टिस पी बी बजनथ्री की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट   प्रशासन और राज्य सरकार से 15 अक्टूबर,2025 तक जवाब मांगा है।ये जनहित याचिका विधि छात्र केशव कुमार झा की ओर से दायर किया गया है। कोर्ट को याचिकाकर्ता  की ओर से  अधिवक्ता प्रफुल्ल कुमार झा ने बताया कि राज्य की निचली अदालतों के सभी स्तर के न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा अपने अपने निजी वाहन पर  नेमप्लेट/बोर्ड लगवाकर   मोटर वाहन कानून 1988 और  हाई कोर्ट के आदेश का  उल्लंघन किया जा रहा है।

ऐसा नेमप्लेट/बोर्ड अपनी निजी गाड़ी पर लगवाकर चलने वाले सभी न्यायाधीशों पर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना एवं वाहन अधिनियम 1988 की  सुसंगत धाराओं के तहत कारवाई की जाए ।

कोर्ट को बताया गया कि इस तरह का बोर्ड / नेमप्लेट अपनी निजी  गाड़ी पर नहीं लगाने के  सम्बन्ध में हाई कोर्ट द्वारा 15 फरवरी, 2019 को  एक पत्र/आदेश  जारी किया गया है। इसमें बिहार के विधि सचिव , बिहार ज्यूडिशल अकैडमी के डायरेक्टर ,  बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के अध्यक्ष, समेत   अन्य  संबंधित अधिकारियों को यह कहा गया था  कि वे इस  आदेश का पालन सुनिश्चित कराएंगे।

उन्हें यह भी सुनिश्चित करना  था कि किसी भी न्यायिक पदाधिकारी द्वारा अपने-अपने निजी वाहन पर न्यायाधीश,   जज या किसी भी प्रकार का बोर्ड नहीं लगाया जाय।बावजूद इसके राज्य के सभी स्तर के न्यायिक पदाधिकारी द्वारा अपने-अपने निजी वाहन पर इस तरह का  बोर्ड / नेमप्लेट  लगाया जा रहा है, जो हाई कोर्ट के साथ-साथ मोटर वाहन कानून का भी खुला उल्लंघन है।

 इन अधिकारियों द्वारा अपने गाड़ी पर इस तरह के बोर्ड के कारण ट्रैफिक नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है। कोई भी पुलिस वाला उनके डर से इनको ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से ना तो रोक पाता है और ना ही उन पर किसी तरह का जुर्माना लगा पाता  है ।

इस मामले की अगली सुनवाई फिर 15 अक्टूबर,2025 को की जाएगी।