एनडीए में सीट बंटवारे का फार्मूला अंतिम चरण में, शिवहर–बाढ़ सीट अदला–बदली की चर्चा तेज

Patna -  बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत अब अंतिम चरण में पहुँच गई है। सूत्रों के अनुसार सीटों की संख्या पर सहमति बनने के बाद अब चर्चा प्रत्याशी और सीट चयन को लेकर तेज हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीए के सभी सहयोगी दलों के नेताओं से सहमति ले ली है कि विजयी होने की संभावना ही उम्मीदवार चुनने का पहला मानदंड होगी, जिसके चलते कुछ सीटों के अदला–बदली की संभावना भी बन रही है।  

विश्वसनीय स्रोतों से मिली ताज़ा जानकारी के मुताबिक भाजपा और जदयू के बीच शिवहर एवं बाढ़ सीट के अदला–बदली की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। वर्तमान में शिवहर सीट जदयू के पास है, जहां जदयू उम्मीदवार को पिछले चुनाव में राजद से लड़ रहे चेतन आनंद ने हराया था जो की बहुबली नेता आनंद मोहन के पुत्र हैं। अब चेतन आनंद जदयू की तरफ़ आ गए हैं और इस बार के चुनाव में उनके जदयू से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। दूसरी ओर बाढ़ सीट भाजपा के पास है, जहां इसके उम्मीदवार ज्ञानेंद्र सिंह ग्यानू लगातार चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन 2025 के चुनाव में बदलाव की उम्मीद जताई पहले से ही जतायी जा रही है।  

सूत्र बताते हैं कि इस बदलाव के पीछे चुनावी सर्वेक्षण के नतीजे और कुछ स्थानीय कारण हैं। सर्वे में चेतन आनंद की स्थिति कमजोर पायी गई है और उनके ख़िलाफ़ एंटीइनकम्बेंसी फ़ैक्टर निकल कर आ रहा है। साथ ही हर सर्वेक्षण में एनडीए के ही घटक भाजपा के नेता और पूर्व विधायक ठाकुर रत्नाकर राणा सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार बताये जा रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा को भी यह सीट जदयू से लेने की इच्छा है।  

चेतन आनंद की मां लवली आनंद भी जदयू से शिवहर की सांसद हैं। मां–बेटे दोनों के सांसद और विधायक पद पर होने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में वंशवाद के आरोप जोर पकड़ रहे हैं, जदयू के जमीनी कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि ज़िले के सभी अहम पदों पर एक ही परिवार क्यों काबिज हो?  

गौरतलब है कि शिवहर लोकसभा सीट 2024 में भाजपा से जदयू के पास तब आई थी, जब वहां भाजपा की मौजूदा सांसद रमा देवी थी। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ताओं का असंतोष बढ़ रहा है कि जब उनकी पार्टी हर सीट गटबंधन में दे दे तो वे क्या करें, और जब उनके उम्मीदवार सबसे लोकप्रिय हैं तो एनडीए फिर चेतन आनंद को लड़ाकर क्यो रिस्क ले रही है?  

विपक्षी दल भी चेतन आनंद को बाहरी बताकर एकजुट होकर निशाना साध रहे हैं। कई महीनों से ‘बाहरी हटाओ, शिवहर बचाओ’ का नारा गूंज रहा है, जो अब मतदाताओं के बड़े हिस्से में घर कर गया है।  

दूसरी तरफ बाढ़ सीट को चेतन आनंद के लिए सुरक्षित माना जा रहा है क्योंकि यहां बड़ी संखया में राजपूत मतदाता हैं और यह क्षेत्र आनंद मोहन परिवार के लिए नया भी नहीं है। लवली आनंद ने फरवरी 2005 में यहां से विधानसभा चुनाव जीता था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह सीट अदला–बदली होती है तो एनडीए के लिए यह एक विन–विन स्थिति साबित हो सकती है, जिसमें दोनों दलों की जीत की संभावना बढ़ जाएगी।