Bihar elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने जैसे-तैसे बचाई अपनी 35 सीटें, अधिकांश सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी

Bihar elections 2025: बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की 35 सीटों में से 22 सीटें 10000 से कम अंतर से जीती गईं। RJD की 16 करीबी जीतें और NDA के 41 नजदीकी मुकाबले।

महागठबंधन की मुश्किल जीत- फोटो : social media

Bihar elections 2025:  2025 के बिहार विधानसभा चुनावों ने यह साफ कर दिया कि राज्य की राजनीति अब पहले से भी अधिक प्रतिस्पर्धी और सीट-केंद्रित हो चुकी है। महागठबंधन को इस बार वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उसे उम्मीद थी। कुल पैंतीस सीटें जीतने के बावजूद कई सीटों पर अंतर इतना कम रहा कि मामूली रणनीतिक चूक से परिणाम बदल सकते थे। इन संकीर्ण अंतर वाली सीटों ने गठबंधन की कमज़ोरी और स्थानीय स्तर पर कमजोर प्रबंधन को उजागर कर दिया।

महागठबंधन में नजदीकी जीतों की असली तस्वीर

महागठबंधन की जीती हुई सीटों में बाइस सीटों पर जीत का अंतर दस हजार से कम रहा। इसका अर्थ यह है कि अधिकांश क्षेत्रों में समर्थन स्थिर नहीं था और मतदाताओं का भरोसा सीमा रेखा पर खड़ा दिखा। दूसरी तरफ़ NDA के केवल एक हिस्से के विधायक ही इतने कम अंतर से जीते। इससे यह स्पष्ट होता है कि NDA का जनाधार अधिक मजबूत और स्थायी था।

बिहार चुनाव RJD का कमजोर प्रदर्शन

राजद इस चुनाव में सिर्फ पच्चीस सीटें हासिल कर सकी और इनमें भी बड़ी संख्या उन सीटों की रही जहाँ अंतर बेहद कम था। ढाका, जहानाबाद और बोधगया जैसी सीटों पर अंतर एक हजार से भी कम रहा। ऐसे नतीजे बताते हैं कि पार्टी कई क्षेत्रों में केवल वोटों के विभाजन की वजह से आगे निकल पाई, न कि अपने विशेष जनाधार के कारण। अन्य सीटों पर भी उसकी स्थिति कमजोर दिखाई दी और मतों का अंतर दस हजार के भीतर ही रहा।

कांग्रेस की निकटतम जीतें और उनकी सीमाएं

कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं, लेकिन इनमें से तीन जीतें दो हजार से भी कम अंतर पर टिकी रहीं। चनपटिया, फारबिसगंज और वाल्मीकिनगर में जीते विधायकों की बढ़त इतनी कम थी कि कोई भी स्थानीय राजनीतिक बदलाव परिणाम को पलट सकता था। बाकी सीटों पर भी अंतर ज़्यादा नहीं था, जिससे पार्टी की सीमित पहुंच स्पष्ट होती है।

बिहार माले और IIP की भूमिका

भाकपा (माले) और IIP ने अपनी उपस्थिति तो दर्ज की, पर उनकी जीतें भी बहुत संकीर्ण अंतर वाली रहीं। इन छोटी पार्टियों का प्रभाव विशिष्ट क्षेत्रों तक सिमटा रहा और उनका जनाधार स्थिर होने की बजाय अल्पकालिक दिखा। पालीगंज, काराकाट और सहरसा में उनके उम्मीदवार मुश्किल मुकाबलों में आगे बढ़ पाए।

बिहार NDA की स्थित जीत और चुनावी प्रभाव

NDA ने कुल दो सौ से अधिक सीटें अपने नाम कीं और इनमें से केवल कुछ सीटें ही बहुत कम अंतर वाली थीं। भाजपा, जदयू और लोजपा(रा) ने कई क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत रखी। सीट-दर-सीट की गई रणनीति, बूथ प्रबंधन और स्थानीय समीकरणों को संभालने की क्षमता ने उन्हें निर्णायक बढ़त दिलाई। इसके साथ ही एंटी-इनकंबेंसी को भी सही तरीके से संभाला गया, जिससे गठबंधन की स्थिति और बेहतर बनी।

बिहार के राजनीतिक समीकरणों का विश्लेषण

करीबी जीतों के आंकड़े यह बताते हैं कि महागठबंधन की पकड़ कमजोर हो रही है। जबकि NDA ने कई क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, विपक्ष अपनी जमीन बनाए रखने में संघर्ष करता दिखाई दे रहा है। इन चुनावों में जातीय समीकरण, स्थानीय नेतृत्व की विश्वसनीयता और बूथ स्तर की रणनीति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला। बदलते परिणामों ने यह भी बताया कि राज्य में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा अब और अधिक सूक्ष्म और क्षेत्रीय होती जा रही है।