Bihar land Survey: नीतीश सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के लिए जारी किया नया आदेश, समय रहते जान लें, वरना जमीन मालिकों करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना

बिहार सरकार ने 16 अप्रैल 2025 को भूमि सर्वेक्षण के लिए नया आदेश जारी किया है। इस अभियान के तहत जमीन मालिकों को प्रपत्र-2 भरना होगा और सभी दस्तावेज समय पर जमा करने होंगे। जानिए सर्वे के छह चरणों की पूरी प्रक्रिया।

Bihar land Survey
Bihar land Survey- फोटो : AI GENERATED

Bihar land Survey: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार ने 16 अप्रैल 2025 को भूमि सर्वेक्षण को लेकर एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है, जो कि ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त जागरूकता अभियान’ का हिस्सा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है जमीन मालिकों के अधिकारों की सुरक्षा, विवादों का निपटारा और भू-रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।

सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि सभी नागरिक सर्वेक्षण में सक्रिय भागीदारी करें और अपने ज़मीन से संबंधित दस्तावेज़ समय पर जमा करें ताकि भविष्य में किसी प्रकार का विवाद न हो।

भूमि सर्वे क्यों है जरूरी?

बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में ज़मीन केवल एक संपत्ति नहीं, बल्कि आजीविका का मुख्य आधार है। भूमि सर्वे के माध्यम से जमीन से जुड़े अधिकारों की स्पष्टता होती है।पुराने रिकॉर्ड अपडेट होते हैं।फर्जीवाड़े की संभावना कम हो जाती है।नए बंदोबस्ती के लिए आधार तैयार होता है।सरकार की मंशा है कि हर किसान और ज़मीन मालिक की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित रहे और उस पर उसका अधिकार प्रमाणित रूप से दर्ज हो।

जानिए छह चरणों का पूरा ढांचा

राजस्व विभाग के मुताबिक भूमि सर्वेक्षण कार्य को छह चरणों में विभाजित किया गया है, ताकि पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से पूरी की जा सके।

पहला चरण: जमीन की सूचना संग्रह और प्रपत्र-2

इस चरण में अमीन गांव-गांव जाकर हर ज़मीन मालिक से प्रपत्र-2 भरवाते हैं, जिसमें ज़मीन की पूरी जानकारी — खाता संख्या, खेसरा नंबर, सीमा, प्रकार, फसल, किरायेदार की स्थिति आदि — दर्ज की जाती है। अमीन पुराने खतियान, रसीद और नक्शे के आधार पर जानकारी सत्यापित करते हैं।

दूसरा चरण: नक्शा निर्माण और सीमांकन

इसमें ज़मीन की सटीक स्थिति जानने के लिए नक्शा तैयार किया जाता है, जिसमें खेसरा की सीमाएं और अन्य भौगोलिक जानकारी दर्ज होती है। यह चरण भूमि के भूगोलिक पहचान की पुष्टि करता है।

तीसरा चरण: दावे और सत्यापन

अब हर ज़मीन मालिक को मौका दिया जाता है कि वह अपने खेसरा के स्वामित्व का दावा करे। दस्तावेज़ों और नक्शे के आधार पर दावे को अमीन और अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाता है।

चौथा चरण: आपत्ति समाधान

जिन मामलों में स्वामित्व को लेकर विवाद होता है या नक्शा में विसंगति पाई जाती है, उन्हें दर्ज किया जाता है। इसके बाद अधिकारी आपत्ति पर सुनवाई कर समाधान करते हैं और रिकॉर्ड में सुधार करते हैं

पांचवां चरण: रिकॉर्ड प्रकाशन और लगान निर्धारण

इस चरण में सत्यापित रिकॉर्ड को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है और हर ज़मीन पर लगान की दर तय की जाती है। बंदोबस्ती का यह महत्वपूर्ण चरण भूमि मालिकों के नामांकन और कर निर्धारण से जुड़ा है।

छठा और अंतिम चरण: अंतिम आपत्ति और निस्तारण

अगर किसी को अब भी कोई आपत्ति हो, तो उसे अंतिम बार सुनवाई का मौका दिया जाता है। इसके बाद अधिकारी फाइनल निर्णय लेते हैं और रिकॉर्ड को स्थायी रूप से संधारित किया जाता है।

क्या करें ज़मीन मालिक?

प्रपत्र-2 भरें और सही जानकारी दें।

पुराने दस्तावेज जैसे खतियान, रसीद, नक्शा, रजिस्ट्री पेपर तैयार रखें।

अमीन के निरीक्षण के समय उपस्थित रहें।

दावे के समय अपने हक की पैरवी करें।

आपत्ति हो तो समय पर दर्ज कराएं।

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