Bihar Politics: बिहार विधानसभा में तीसरी पीढ़ी के विधायकों की एंट्री, कई बड़े राजनीतिक घरानों का दबदबा बरकरार

Bihar Politics: बिहार विधानसभा में राजनीतिक परिवारों की तीसरी पीढ़ी तक की मजबूत मौजूदगी देखने को मिल रही है। करिश्मा राय, रूहेल रंजन, अतिरेक कुमार और अन्य नेताओं के पारिवारिक राजनीतिक सफर पर एक विस्तृत रिपोर्ट।

बिहार विधानसभा - फोटो : social media

Bihar Politics: बिहार की 18वीं विधानसभा ऐसे समय में गठित हुई है जब राजनीति में वंशागत नेतृत्व पहले से कहीं अधिक दिखाई दे रहा है। इस बार सदन में न सिर्फ दूसरी पीढ़ी के, बल्कि कई राजनीतिक घरानों की तीसरी पीढ़ी ने भी जगह बनाई है। कई नए चेहरे ऐसे हैं जिनके दादा और पिता दोनों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव छोड़ा है। परिणामों में साफ दिखाई देता है कि पुराने राजनीतिक परिवार अब भी जनता में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

करिश्मा राय: पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की विरासत का नया अध्याय

सारण जिले की परसा सीट से आरजेडी की करिश्मा राय ने जीत हासिल कर परिवार की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाया है। करिश्मा के दादा दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे, जबकि दादी भी विधायक के रूप में सक्रिय रहीं। उनके पिता चंद्रिका राय इस क्षेत्र के कई बार विधायक रहे हैं। राय परिवार ने अपनी राजनीतिक यात्रा में लगातार जनसमर्थन पाया है और इस बार करिश्मा ने उसी विश्वास को नई ऊर्जा दी है।

रूहेल रंजन: इस्लामपुर में तीसरी पीढ़ी की शुरुआत

जेडीयू के युवा चेहरों में शामिल रूहेल रंजन ने इस्लामपुर सीट से जीत दर्ज की है। उनके दादा रामशरण सिंह बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे और मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। उनके पिता राजीव रंजन भी इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। अब रूहेल ने परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर विधानसभा में कदम रखा है।

अतिरेक कुमार: तीन पीढ़ियों का राजनीति में मजबूत सफर

कुशेश्वरस्थान सीट पर जीत दर्ज करने वाले जेडीयू के अतिरेक कुमार भी प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके दादा बालेश्वर राम केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे और सांसद व विधायक के रूप में भी उनकी छाप रही। पिता अशोक कुमार छह बार विधायक चुने गए और राज्य सरकार में मंत्री भी बने। अतिरेक ने अपने अनुभव और परिवार की राजनीतिक जमीन पर आगे बढ़ते हुए पहली बार सदन में प्रवेश किया है।

दानापुर के नए विधायक और कृषि मंत्री: लंबे राजनीतिक अनुभव के साथ नई पहचान

दानापुर से बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक ने भले ही पहली बार विधानसभा की सदस्यता हासिल की हो, लेकिन राजनीतिक अनुभव की उनकी पृष्ठभूमि बेहद समृद्ध है। वे पहले विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। पटना नगर निगम में पार्षद और उपमहापौर के रूप में भी उन्होंने शहर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। इस बार उन्हें कृषि विभाग की जिम्मेदारी भी मिली है।

चेतन आनंद: माता-पिता दोनों की राजनीतिक राह पर आगे

नवीनगर से जेडीयू के चेतन आनंद ने जीत दर्ज कर अपने परिवार की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाया है। उनके पिता आनंद मोहन बिहार के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे और विधायक व सांसद दोनों पदों पर रहे। उनकी मां लवली आनंद भी सांसद हैं और दो बार विधायक रह चुकी हैं। चेतन ने राजनीति में अपनी स्वतंत्र पहचान मजबूत करते हुए परिवार की तीसरी कड़ी के रूप में सदन में जगह बनाई है।

श्रेयसी सिंह: दिग्विजय सिंह की बेटी और बिहार की उभरती युवा नेता

जमुई से बीजेपी की श्रेयसी सिंह ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। खेल जगत में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने के बाद उन्होंने राजनीति को नए सिरे से अपनाया। उनके पिता दिग्विजय सिंह संसद और केंद्र सरकार में प्रमुख पदों पर रहे थे, जबकि मां पुतुल देवी भी लोकसभा तक पहुंचीं। श्रेयसी अब परिवार की राजनीतिक विरासत के साथ अपना नेतृत्व भी मजबूत कर रही हैं।