Patna High Court: पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला! 30 जून को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगा 1 जुलाई का वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ
Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 30 जून को रिटायर होने वाले कर्मचारी भी 1 जुलाई की वार्षिक वेतन वृद्धि के हकदार हैं। सरकार की अपील खारिज, पेंशन पुनर्निर्धारण का आदेश।
Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए साफ कहा है कि जो कर्मचारी 30 जून को रिटायर होते हैं, वे भी अगले दिन यानी 1 जुलाई को मिलने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि के अधिकार से वंचित नहीं किए जा सकते। इस फैसले से पेंशन तय होने में बड़ा बदलाव आएगा, क्योंकि अंतिम वेतन में वृद्धि जुड़ने से रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन भी बढ़ेगी।
सरकार की अपील को कोर्ट ने किया खारिज
राज्य सरकार ने पहले एकलपीठ द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ अपील की थी। यह आदेश जल संसाधन विभाग के छह रिटायर्ड जूनियर इंजीनियरों के मामले में दिया गया था। एकलपीठ ने कहा था कि उन्हें नोशनल इंक्रीमेंट देकर पेंशन दोबारा तय की जाए। खंडपीठ ने सरकार की अपील को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही माना और कहा कि कर्मचारियों को इस लाभ से रोकने का कोई आधार नहीं है।
क्यों कमजोरी साबित हुई सरकार की दलील
राज्य सरकार का तर्क था कि 30 जून को रिटायर होने वाले कर्मचारी अगले दिन सेवा में नहीं रहते, इसलिए 1 जुलाई वाली वार्षिक वृद्धि का लाभ उन्हें नहीं मिल सकता। अदालत ने इस दलील को तकनीकी आधार बताया और इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि पूरे साल काम करने के बाद केवल तारीख के आधार पर किसी को वेतन वृद्धि से वंचित करना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों पर भरोसा किया, विशेषकर 2023 में आए All India Judges Association vs Union of India के फैसले पर। सुप्रीम कोर्ट ने वहां स्पष्ट कहा था कि किसी कर्मचारी ने जब पूरा वर्ष सेवा दी है, तो उसे सिर्फ इसलिए वृद्धि से नहीं रोका जा सकता कि वह वृद्धि लागू होने वाले अगले दिन रिटायर हो गया। ऐसे मामलों में कटौती करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना जाएगा।
हाई कोर्ट का अंतिम निर्देश
पटना हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार की अपील का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने आदेश दिया कि जिन कर्मचारियों की याचिकाएँ लंबित थीं, उन्हें नोशनल इंक्रीमेंट दिया जाए और उसी के आधार पर उनकी पेंशन को दोबारा निर्धारित किया जाए। इससे यह भी साफ हो गया कि भविष्य के मामलों में भी यही नियम लागू होगा।
किसे मिलेगा सीधा लाभ
इस निर्णय से खासकर वे कर्मचारी लाभान्वित होंगे जो लंबे समय से इस विवाद का सामना कर रहे थे और 30 जून को सेवानिवृत्त होने की वजह से 1 जुलाई की वेतन वृद्धि से वंचित थे। अब यह फैसला न केवल बिहार के लिए, बल्कि देशभर के कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बन सकता है, क्योंकि मामला समान नियम और तर्क से जुड़ा है।