Bihar BJP President:बीजेपी की सियासी बिसात में नए कप्तान की तलाश, बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की अटकलें तेज, ये नाम आगे

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने के साथ ही सोशल मीडिया के सियासी गलियारे में यह चर्चा तेजी पकड़ चुकी है कि अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती होना तय है।...

बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की अटकलें तेज- फोटो : social Media

Bihar BJP President: बिहार की सियासत में इन दिनों एक नया सियासी नौटंकी-ए-अंदाज देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने के साथ ही सोशल मीडिया के सियासी गलियारे में यह चर्चा तेजी पकड़ चुकी है कि अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती होना तय है। हालांकि, भाजपा की पुरानी परंपरा एक आदमी, एक पद का हवाला देते हुए जानकार कह रहे हैं कि जब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक बिहार में बदलाव की कोई गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आती। जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव के बहाने बढ़ता गया और अब पार्टी के भीतर भी यह चर्चा है कि एलेक्शन के बाद ही बिहार में फेरबदल होगा।

फिर भी सोशल मीडिया पर मानो राजनीतिक बाज़ार-ए-गुफ़्तगू लगा हो नाम, जातीय समीकरण, सियासी तजुर्बा, सबका मसाला चल रहा है। सबसे ज्यादा चर्चा में हैं नीतीश मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे। इस बार उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली, जबकि वे पिछले कार्यकाल में उद्योग मंत्री रहे थे। उनका विभाग इस बार सीधे दिलीप जायसवाल के खाते में चला गया है। झंझारपुर से लगातार पांचवीं जीत ने नीतीश मिश्रा को एक बड़ा राजनीतिक कद दिया है। इसलिए उनके करीबियों का कहना है कि पार्टी ने उन्हें संगठन की राजनीति"के लिए बचाकर रखा है।मिथिला की 37 सीटों में एनडीए ने 31 सीटें जीती हैं यह बड़ा संकेत है कि इस इलाके को लेकर पार्टी में सियासी तवज्जो बढ़ना तय है।

इसी कड़ी में दूसरा नाम उठ रहा है जनक राम का। दलित समाज से आने वाले जनक राम बसपा से 2013 में भाजपा में आए थे और नीतीश सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं। इस बार उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है। सूत्रों का दावा है कि पार्टी संभवतः दलित समाज से नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है, ऐसे में जनक राम मजबूत दावेदार बनते हैं।कुल 5 दलित मंत्रियों में भाजपा का सिर्फ एक नाम लखेंद्र रौशन रखना भी इस अटकल को और हवा देता है।

इसी दौड़ में तीसरा नाम है संजीव चौरसिया पटना की दीघा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक। परिवार का आरएसएस से गहरा नाता, पिता गंगा प्रसाद का भाजपा की शुरुआती रचना में बड़ा योगदान ये सारे तथ्य उन्हें संगठन की  दिल्ली-प्रेमी लिस्ट में मजबूत जगह दिलाते हैं। मंत्री बनने की चर्चा थी, पर जब वह नहीं हुआ तो कयास बदल गए अब चर्चा है कि उनका नंबर प्रदेश संगठन में लग सकता है।

चौथा बड़ा नाम है विवेक ठाकुर नवादा के भूमिहार सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे। भूमिहार जाति के 22 विधायक एनडीए में जीतकर आए हैं, लेकिन नीतीश मंत्रिमंडल में सिर्फ दो को जगह मिली है। ऐसे में ब्रह्मर्षि समाज को साधने के लिए भाजपा नया अध्यक्ष इसी जाति से ला सकती है।

कुल मिलाकर, भाजपा की बिहार इकाई की सियासत-ए-तलब़ इन दिनों बेहद दिलचस्प मोड़ पर है नाम कई, समीकरण अनगिनत और फैसले की घड़ी अभी दूर। लेकिन इतना तय है कि जब भी फैसला होगा, वह जाति, संगठन और सियासी रफ्तार तीनों के हिसाब से होगा।