Bihar Longest Bridge: बिहार सीमा पर तरक्की की नई दास्तां, बेतिया-गोरखपुर मेगा पुल प्रोजेक्ट को मिली हरी झंडी, यूपी से दूरी होगी कम
Bihar Longest Bridge: बिहार की तरक्की के नक़्शे पर एक और बुलंद कदम दर्ज होने जा रहा है। बेतिया से गोरखपुर को जोड़ने वाले महा-पुल सह सड़क प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की वित्तीय मंजूरी मिल गई है।...
Bihar Longest Bridge: बिहार की तरक्की के नक़्शे पर एक और बुलंद कदम दर्ज होने जा रहा है। बेतिया से गोरखपुर को जोड़ने वाले महा-पुल सह सड़क प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की वित्तीय मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। सूचना की जुबान में कहें तो अब सिर्फ केंद्रीय कैबिनेट की अंतिम इजाज़त बाक़ी है, जिसके बाद निर्माण कार्य की राह में कोई रुकावट नहीं रहेगी।
यह विशालकाय पुल बिहार के बेतिया स्थित मनुआपुल को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में तिवारीपट्टी सेवराही से सीधे जोड़ देगा। गंडक नदी पर प्रस्तावित इस पुल के बन जाने से दोनों राज्यों के बीच आवागमन आसान, यात्रा समय कम, और वाणिज्यिक गतिविधियों को नई रफ़्तार मिलने की उम्मीद है।
पिछले दिनों केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई पीपीपीएसी की बैठक में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को औपचारिक मंजूरी प्रदान की गई। कमेटी ने एनएच-727AA पर बनने वाले दो लेन पुल सह सड़क को तकनीकी व वित्तीय रूप से व्यावहारिक पाया।
दरअसल, गोरखपुर–सिलीगुड़ी हाईवे पर इसी नदी पर एक छह लेन का पुल पहले से प्रस्तावित है, जो इस नए पुल से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। दो समानांतर मेगा स्ट्रक्चर बनने से इंजीनियरिंग संतुलन बनाए रखने और यातायात प्रबंधन को सुगम करने के लिए नए पुल को दो लेन का ही रखने का निर्णय लिया गया।
यह परियोजना आकार और महत्व दोनों में बड़ी है। पुल की कुल लंबाई 12.036 किलोमीटर, जबकि सड़क समेत पूरी परियोजना का विस्तार लगभग 29 किलोमीटर होगा। मुख्य ढांचे के साथ-साथ मार्ग पर 15 छोटे पुलों का भी निर्माण किया जाएगा, ताकि ट्रैफिक का प्रवाह हर मौसम में बेधड़क रहे।
यह पुल न सिर्फ दो राज्यों की दूरी कम करेगा, बल्कि सीमावर्ती इलाक़ों के लिए तस्वीर और तक़दीर दोनों बदलने वाला साबित हो सकता है।