मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपनी टीम के साथ पहुंचे पटना , इस दिन बजेगा बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपनी टीम संग पटना पहुँच चुके हैं। ज़मीनी हालात की समीक्षा के बाद दिल्ली लौटकर वे तीन-चार दिनों के भीतर चुनावी तारीख़ों का बिगुल फूंकेंगे।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासी ज़मीन पर इस वक़्त सबसे बड़ा मुद्दा विधानसभा चुनाव की तैयारी है। चुनाव आयोग ने कमर कस ली है और अब ऐलान की घड़ी नज़दीक आ चुकी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त अपनी टीम संग पटना पहुँच चुके हैं। ज़मीनी हालात की समीक्षा के बाद दिल्ली लौटकर वे तीन-चार दिनों के भीतर चुनावी तारीख़ों का बिगुल फूंकेंगे।
30 सितंबर को मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के साथ ही सूबे की राजनीति में हलचल बढ़ गई। उसी दिन सभी ज़िलों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को सूची की हार्ड व सॉफ्ट कॉपी सौंप दी गई। एक अक्टूबर को आयोग के वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त मनीष गर्ग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये राज्य स्तर की तैयारियों का जायज़ा लिया। पहले सत्र में मुख्य चुनाव पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल और पुलिस नोडल पदाधिकारी कुंदन कृष्णन मौजूद थे। बूथों की व्यवस्था, सुरक्षा तंत्र, मतदाता जागरूकता से लेकर चुनावकर्मी प्रशिक्षण तक हर पहलू पर गहन चर्चा हुई।
दूसरे सत्र में सुरक्षा और जांच से जुड़ी 24 एजेंसियों के साथ बैठक हुई। आयोग ने साफ़ संदेश दिया— जांच और कार्रवाई की रफ़्तार तेज़ की जाए, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों। तीन अक्टूबर को दिल्ली में 470 चुनाव पर्यवेक्षकों के साथ अहम बैठक कर आयोग ने उन्हें सख़्त दिशा-निर्देश भी दिए।
अब 4-5 अक्टूबर को आयोग की टीम बिहार में दो दिवसीय दौरे पर होगी। इस दौरान सभी हितधारकों से सुझाव और शिकायतें सुनी जाएंगी, राज्य सरकार के आला अफ़सरों से रणनीति पर विमर्श होगा। उसके बाद आयोग केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों संग बैठक कर दो-तीन दिनों के भीतर चुनावी तारीख़ों का एलान करेगा।
सियासी हलकों में चर्चा है कि इस बार बिहार चुनाव दो या तीन चरणों में संपन्न हो सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों पर नज़र डालें तो 2020 में तीन चरण, 2015 में पांच चरण, 2010 में छह चरण और 2005 के दो चुनाव क्रमशः चार और तीन चरणों में हुए थे।
बिहार की जनता अब इस इंतज़ार में है कि चुनाव आयोग का "चुनावी शंखनाद" कब गूंजेगा। तारीख़ों का ऐलान होते ही राजनीतिक दल मैदान में उतर पड़ेंगे और सूबे का माहौल चुनावी रंग में रंग जाएगा।