Bihar land Survey: दाखिल-खारिज में लापरवाही पड़ा महंगा, सबसे बड़े साहब ने दो डीसीएलआर को नाप दिया, निजी लॉगिन के दुरुपयोग के खुलासे से मचा हड़कंप

Bihar land Survey: बिहार सरकार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में कार्यरत अधिकारियों पर लापरवाही और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों के बाद कड़ा कदम उठाया है।

दो डीसीएलआर नपे- फोटो : social Media

Bihar land Survey:  बिहार सरकार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में कार्यरत अधिकारियों पर लापरवाही और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों के बाद कड़ा कदम उठाया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को मुजफ्फरपुर पूर्वी के डीसीएलआर (भूमि सुधार उप समाहर्ता) संजय कुमार और बेतिया सदर के डीसीएलआर सादिक अख्तर को निलंबित कर दिया है। इससे पहले, मुजफ्फरपुर पश्चिमी के डीसीएलआर धीरेंद्र कुमार को भी निलंबित किया जा चुका है। यह कार्रवाई दाखिल-खारिज अपीलवादों में देरी, ऑफिसियल लॉगिन के बजाय निजी लॉगिन के दुरुपयोग, और बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली के उल्लंघन के कारण की गई है।

लापरवाही और अनुशासनहीनता

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इन अधिकारियों पर निम्नलिखित गंभीर आरोप लगाए हैं:

दाखिल-खारिज में देरी: बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम 2011 के तहत, डीसीएलआर को अपीलवादों का निपटारा 30 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है। लेकिन संजय कुमार और सादिक अख्तर पर बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज अपीलवादों को लंबित रखने का आरोप है, जिससे आम नागरिकों को परेशानी हुई।

निजी लॉगिन का दुरुपयोग: दोनों अधिकारियों ने ऑफिसियल लॉगिन के बजाय निजी लॉगिन का उपयोग कर कार्यालय के कार्यों को निपटाया, जो पारदर्शिता और नियमों का उल्लंघन है।

लगान निर्धारण में देरी: लगान निर्धारण और जमाबंदी अद्यतन में अनावश्यक विलंब के कारण कई शिकायतें दर्ज हुईं।

मुख्य सचिव के निर्देशों की अवहेलना: बार-बार चेतावनी और मुख्य सचिव के निर्देशों के बावजूद इनके कार्यों में सुधार नहीं देखा गया। मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने इन अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने और शिकायतों के बढ़ते दबाव के बाद निलंबन की कार्रवाई की गई।

निलंबन और अनुशासनिक कार्रवाई

सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुशासनिक प्राधिकार के स्तर पर इन मामलों की समीक्षा की, जिसके बाद दोनों अधिकारियों को बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। निलंबन अवधि के दौरान दोनों का मुख्यालय तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त कार्यालय, मुजफ्फरपुर में निर्धारित किया गया है। विभाग ने इनके खिलाफ आगे की अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा भी की है, जिसमें गहन जांच और संभावित कठोर दंड शामिल हो सकते हैं।

पहले भी हुई थी कार्रवाई

पिछले सप्ताह, मुजफ्फरपुर पश्चिमी के डीसीएलआर धीरेंद्र कुमार को भी इसी तरह की लापरवाही के लिए निलंबित किया गया था। उनके स्थान पर नए डीसीएलआर ने पदभार ग्रहण कर लिया है। इन तीनों निलंबनों ने बिहार में राजस्व विभाग के कामकाज में सुधार और पारदर्शिता लाने की सरकार की मंशा को स्पष्ट किया है।

दाखिल-खारिज और जमीन विवादों के निपटारे में देरी से बिहार के आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिहार भूमि पोर्टल (biharbhumi.bihar.gov.in) और परिमार्जन पोर्टल (parimarjan.bihar.gov.in) के जरिए ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ावा देने के बावजूद, कुछ अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रक्रिया में बाधा आ रही थी। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।नागरिकों के लिए: दाखिल-खारिज की स्थिति जांचने के लिए biharbhumi.bihar.gov.in पर जाकर "दाखिल-खारिज आवेदन स्थिति देखें" विकल्प का उपयोग करें। आपत्ति दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल का सहारा लें।