'विकास ऐसा हो जो विनाश से बचाए': प्लास्टिक और जूट से सड़कें बनाने की बताई तकनीक, डॉ. सुनील चौधरी का नया मंत्र
पथ निर्माण विभाग के एसई डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने विकास का नया मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि "विकास ऐसा हो जो विनाश से बचाए।" डॉ. चौधरी ने प्लास्टिक और जूट के इस्तेमाल से भूकंप रोधी और दोगुनी उम्र वाली सड़कें बनाने की तकनीक पर भी प्रकाश डाला
Patna : "हम लोग हैं ऐसे दीवाने, तकनीक बदलकर मानेंगे। मंजिल को पाने निकले हैं, मंजिल को पाकर मानेंगे।" इन पंक्तियों के साथ पथ निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता और जाने-माने टेक्नोक्रेट डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने पटना के तारामंडल ऑडिटोरियम में एक नई वैज्ञानिक अलख जगाई। इंदिरा गांधी साइंस कॉम्प्लेक्स में आयोजित 'प्रथम सस्टेनेबिलिटी कन्वेंशन' में शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए डॉ. चौधरी ने जोर देकर कहा कि हमें ऐसे विकास की जरूरत है जो पर्यावरण को बचाए, न कि विनाश का कारण बने।
मानव केंद्रित दृष्टिकोण और सस्ती तकनीक
डॉ. चौधरी के शोध पत्र का विषय 'सस्टेनेबल बिल्ट इन्वायरनमेंट: पर्सपेक्टिव ऑन ह्यूमन सेंट्रिक एप्रोच' था। उन्होंने बताया कि सस्टेनेबल (टिकाऊ) और रेजिलिएन्ट (लचीला) निर्माण न केवल सस्ता होता है, बल्कि यह अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल भी होता है। उन्होंने क्षतिग्रस्त संरचनाओं को 'एडवांस कंपोजिट मटेरियल' से रेट्रोफिटिंग करने की तकनीक समझाई। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाले, क्लाइमेट और डिजास्टर रेजिलिएन्ट घरों के निर्माण के लिए केस स्टडीज प्रस्तुत कीं।
सड़क निर्माण में प्लास्टिक-जूट का क्रांतिकारी प्रयोग
सड़क निर्माण की तकनीक पर बात करते हुए डॉ. चौधरी ने कई चौंकाने वाले तथ्य रखे। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण में प्लास्टिक और जूट का उपयोग कर न केवल उसे भूकंप रोधी बनाया जा सकता है, बल्कि सड़क की लाइफ (उम्र) भी दोगुनी की जा सकती है। बताया कि सस्टेनेबल मटेरियल के प्रयोग से सड़क की भार वहन क्षमता बढ़ती है और क्रस्ट की मोटाई कम होती है, जिससे लागत घटती है। आपदा रोधी निर्माण के लिए उन्होंने बांस (Bamboo), जूट और प्लास्टिक को बढ़ावा देने की वकालत की।
इंट्रीग्रेटेड एप्रोच की जरुरत
नैनोटेक्नोलॉजी और ग्रीन कंक्रीट का भविष्य डॉ. चौधरी ने निर्माण क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी, बायो कंक्रीट और ग्रीन कंक्रीट की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत एक बहु-आपदा प्रभावित देश है, इसलिए यहाँ 'इंटीग्रेटेड एप्रोच' की जरूरत है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसे पौधे लगाने की अपील की जो कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक अवशोषण कर सकें।
सीएम नीतीश के विजन को कर रहे साकार
अपने संबोधन में डॉ. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'सुरक्षित बिहार, विकसित बिहार' के सपने को साकार करने के लिए यह अभियान एक आंदोलन का रूप ले चुका है। वे समाज के विभिन्न हितधारकों को आपदा रोधी भवन निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे हैं। बता दें कि डॉ. सुनील अब तक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 235 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं और उन्हें 28 सम्मानों से नवाजा जा चुका है। कार्यक्रम के अंत में उन्हें प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।