Bihar Teacher News: शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों से साथ कर दिया बड़का खेला, 12 साल के बाद टीचरों को बिहार सरकार का झटका

Bihar Teacher News: बिहार के नियोजित शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने बड़ा झटका दिया है। विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश में खिलाफ एलपीए में जाने का निर्णय किया है...पढ़िए आगे...

Employed teachers
Employed teachers got a big shock- फोटो : social media

Bihar Teacher News: बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों के साथ बड़ा खेल कर दिया है। नियोजित शिक्षक जो 12 साल से सरकार को सेवा दे रहे हैं। उनको अब तक प्रमोशन नहीं मिला है। दरअसल, पटना हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद राज्य के शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों को कालबद्ध प्रोन्नति देने से इनकार करते हुए कोर्ट के फैसले के विरुद्ध एलपीए (लेटर्स पेटेंट अपील) में जाने का निर्णय लिया है। विभाग का यह रुख उन हजारों शिक्षकों के लिए झटका है जो वर्षों से प्रोन्नति की उम्मीद में थे।

शिक्षकों को बड़ा झटका 

ज्ञात हो कि, हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए 12 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके नियोजित शिक्षकों को प्रोन्नति देने का आदेश दिया था। यह याचिका 2021 में शिक्षक संजय कुमार द्वारा दायर की गई थी। जिसमें विभाग पर प्रोन्नति और स्थानांतरण जैसे मौलिक अधिकारों की उपेक्षा का आरोप लगाया गया था।

चार महीने बाद शिक्षा विभाग का यू टर्न

हालांकि, शिक्षा विभाग ने अब चार महीने बाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का रास्ता चुना है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला द्वारा सोमवार को जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि "बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023" के तहत नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद राज्यकर्मी का दर्जा दिया गया है। मगर कालबद्ध प्रोन्नति को लेकर कोर्ट के आदेश के विरुद्ध विभाग अब एलपीए दायर करेगा।

शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी 

विभाग के इस फैसले से स्पष्ट है कि प्रोन्नति की राह फिलहाल और लंबी हो सकती है। नियोजन नियमावली में प्रोन्नति और स्थानांतरण का स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वर्षों से इसका लाभ नहीं मिल पाया है। शिक्षा विभाग के इस टाल-मटोल रवैये से नाराज शिक्षकों ने निर्णय को अन्यायपूर्ण बताया है और जल्द ही आंदोलन की चेतावनी दी है। विभाग की ओर से अभी तक इस फैसले पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

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