Bihar News : बिहार के मछली पालकों को 5 श्रेणियों में मिल रही सब्सिडी, योजना के लाभ के लिए इस दिन तक करें आवेदन...

Bihar News : बिहार के मछली पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए 5 श्रेणियों में सब्सिडी दी जा रही है. इसके लिए मछली पालक इस दिन तक आवेदन कर सकते हैं.....पढ़िए आगे

मछली पालकों को सहायता - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : अगर आप मछली पालन से जुड़े हैं या इस व्यवसाय में कदम रखना चाहते हैं, तो बिहार सरकार की "मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना 2025-26" आपके लिए जबरदस्त अवसर लेकर आई है। सरकार मछली पालकों को तालाब निर्माण, ट्यूबवेल, पम्प सेट, एरेटर, हैचरी आदि के लिए 50 फीसद से 70 फीसद तक की सब्सिडी दे रही है। इसके लिए आवेदन की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2025 है।

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े बिहार के कदम

राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से चलाई जा रही इस योजना में मछली पालकों को प्रति यूनिट की लागत का 50 से 70 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। पिछले तीन सालों में अब तक ₹298.46 करोड़ का अनुदान सीधे तौर पर मछली पालकों को दिया जा चुका है। इसका असर बिहार के मत्स्य उत्पादन पर पड़ा है। बिहार मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में है।

इन श्रेणियों में मिल रही सब्सिडी

उन्नत मत्स्य उत्पादन के लिए 0.5 एकड़ की इकाई लागत ₹1 लाख, जिसमें 50 फीसद से 70 फीसद तक अनुदान दिया जा रहा है। ट्यूबवेल एवं पम्प सेट अधिष्ठापन की इकाई लागत ₹1.2 लाख, जिसमें 50 फीसद से 60 फीसद सब्सिडी दी जा रही है। वहीँ मात्स्यिकी के लिए यांत्रिक एरेटर स्थापना की इकाई लागत ₹50,000 है, जिसमें 50 फीसद से 70 फीसद बिहार सरकार अनुदान दे रही है। कार्प हैचरी की इकाई लागत: ₹8 लाख है, इस पर भी 50 फीसद से 70 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। मत्स्य बीज हैचरी का जीर्णोद्धार व उन्नयन की इकाई लागत ₹5 लाख है, जिसपर 50 फीसद से 70 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। 

ऐसे करें आवेदन

बिहार सरकार ने इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया तय की है। जो इसे सरल और सुलभ बनाता है। इच्छुक लाभार्थी fisheries.bihar.gov.in पर जाकर 31 अगस्त 2025 तक सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए आप state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.Html या अपने जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

अवसर की ओर बिहार

पिछले तीन सालों में योजना के तहत मिले अनुदान की बदौलत हजारों मछली पालकों को नई ऊर्जा और अवसर मिले हैं। राज्य सरकार की कोशिश है कि न सिर्फ उत्पादन बढ़े, बल्कि बीज उत्पादन में भी बिहार आत्मनिर्भर बने।