CPI-ML MLA Manoj Manzil: भोजपुर बड़गांव मामला! पूर्व विधायक मनोज मंजिल को इस मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं, माले जाएगी सुप्रीम कोर्ट
CPI-ML MLA Manoj Manzil: भोजपुर के बड़गांव मामले में भाकपा-माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल को पटना हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखी, माले ने सुप्रीम कोर्ट जाने का एलान किया।
CPI-ML MLA Manoj Manzil: बिहार की राजनीति से जुड़ा भोजपुर के बड़गांव हत्याकांड मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। बुधवार (11 अक्तूबर) को पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में भाकपा-माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी अपील खारिज कर दी।हाईकोर्ट ने कहा कि जिला अदालत का फैसला न्यायसंगत और पर्याप्त साक्ष्यों पर आधारित है।
इस फैसले के साथ ही, मनोज मंजिल को मिली कड़ी सजा पर फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले आया यह निर्णय न केवल कानूनी मोर्चे पर बल्कि राजनीतिक रूप से भी माले के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
भाकपा-माले की प्रतिक्रिया राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय
हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद, भाकपा-माले ने इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय बताया।पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया पर राजनीतिक प्रभाव का परिणाम प्रतीत होता है।मनोज मंजिल और उनके साथियों को साजिशन फंसाया गया था, जबकि जिस व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाया गया, उसकी लाश तक बरामद नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गरीबों, मजदूरों और किसानों की आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। कुणाल ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में जन आंदोलनों को दबाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और मनोज मंजिल जैसे नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने सत्ता की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी
भाकपा-माले ने घोषणा की है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।कुणाल ने कहा कि पार्टी अब कानूनी और जन दोनों स्तरों पर संघर्ष को तेज करेगी।उन्होंने जनता से अपील की गरीबों और मजदूरों के नेताओं के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाइए।लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए यह लड़ाई जारी रहेगी।”पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, माले की कानूनी टीम जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल करेगी।इस फैसले के खिलाफ सार्वजनिक अभियान और जनसभा करने की भी योजना बनाई जा रही है।
मामला क्या है?
भोजपुर के बड़गांव हत्याकांड का यह मामला कई वर्षों पुराना है।मामले में मनोज मंजिल और अन्य कार्यकर्ताओं पर हत्या और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था।जिला अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, जिसे अब पटना हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा है।हालांकि, माले का दावा है कि यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध और झूठे आरोपों पर आधारित है।
बिहार की राजनीति में कानूनी फैसला या चुनावी असर?
यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं।
भाकपा-माले इस चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर हिस्सा ले रही है और अपने आप को “विकल्प की राजनीति” के रूप में पेश कर रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनोज मंजिल जैसे युवा वामपंथी नेताओं की सजा बरकरार रहने से माले की नैतिक ताकत पर असर पड़ सकता है, लेकिन साथ ही यह पार्टी के लिए ‘संघर्ष बनाम सत्ता’ का नया नैरेटिव भी बना सकता है।”
जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बहस
हाईकोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर तेज बहस छिड़ गई है।माले समर्थकों ने इसे “जन नेता के खिलाफ साजिश” बताया है,वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कानूनी प्रक्रिया को राजनीति से जोड़ना उचित नहीं है।