Bihar Flood:गंगा का कहर, 49 साल बाद पटना पर मंडरा रहा बाढ़ के सबसे बड़े सैलाब का खतरा, कई स्कूल बंद, तटबंध में रिसाव, घंटों की जंग के बाद बची बस्ती

Bihar Flood: बिहार इन दिनों कुदरत के कोप का सामना कर रहा है। आसमान से बरसते पानी और गंगा के उफनते मिज़ाज ने राज्य के कई जिलों में हाहाकार मचा दिया है।..

गंगा का कहर- फोटो : reporter

Bihar Flood: बिहार इन दिनों कुदरत के कोप का सामना कर रहा है। आसमान से बरसते पानी और गंगा के उफनते मिज़ाज ने राज्य के कई जिलों में हाहाकार मचा दिया है।वहीं वैशाली ज़िले के महनार में शुक्रवार देर रात उस समय हड़कंप मच गया, जब मौसम में अचानक बदलाव के बाद गंगा की लहरें उफान मारने लगीं और हसनपुर दक्षिणी गांव के पास तटबंध में रिसाव शुरू हो गया। जैसे ही रिसाव और तटबंध के क्षतिग्रस्त होने की सूचना जल संसाधन विभाग को मिली, प्रशासनिक महकमे में अफरा-तफरी मच गई।तेज़ आंधी और मूसलधार बारिश के बीच गंगा की लहरों का दबाव इतना बढ़ गया कि हसनपुर राम-जानकी घाट के पास तटबंध कमजोर पड़ने लगा। स्थिति की गंभीरता भांपते हुए जल संसाधन विभाग कार्य प्रमंडल लालगंज कैंप महनार के सहायक अभियंता अरुण कुमार, कनीय अभियंता अमरेन्द्र कुमार और विक्की कुमार तुरंत टीम और मजदूरों के साथ मौके पर पहुंचे। हसनपुर दक्षिणी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मुकेश सिंह भी टीम के साथ बांध की मरम्मत कार्य में जुट गए।

खतरे की परवाह किए बिना विभाग के अधिकारी और दर्जनों मजदूर तेज धार वाली नदी में उतर गए और रिसाव वाले हिस्से को बंद करने की कोशिश शुरू कर दी। बारिश, आंधी और उफनती लहरों के बीच यह ऑपरेशन कई घंटे तक चला। रेत की बोरियां, मलबा और पत्थर डालकर आखिरकार देर रात रिसाव को काबू में कर लिया गया।हालांकि गंगा के लगातार उफान और दबाव के कारण तटबंध पर अभी भी खतरा बरकरार है, लेकिन सहायक अभियंता अरुण कुमार के नेतृत्व में पूरी टीम मौके पर डटी हुई है। बांध की 24 घंटे निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत कार्रवाई हो सके।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर रिसाव को समय रहते नहीं रोका जाता, तो पानी आसपास के गांवों में घुसकर भारी तबाही मचा सकता था। 

वहीं पटना, मुंगेर, बक्सर, खगड़िया, वैशाली से लेकर उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती ज़िलों तक हर ओर बाढ़ का खतरा सिर उठाए खड़ा है। राजधानी पटना में तो हालात इतने नाज़ुक हो गए हैं कि 49 साल पुराना जलस्तर का रिकॉर्ड टूटने की कगार पर है।

गंगा नदी का जलस्तर लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। बक्सर, मनेर, दीघा घाट, गांधी घाट, हाथीदह और मुंगेर में पानी का स्तर तेजी से चढ़ रहा है। 1976 में मनेर पर दर्ज 53.79 मीटर का उच्चतम जलस्तर अब महज़ कुछ सेंटीमीटर दूर है। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, 07 अगस्त 2025 को यहां 53.31 मीटर दर्ज किया गया था—यानी केवल 48 सेंटीमीटर की दूरी पर विनाश का वह पुराना निशान खड़ा है। गांधी घाट पर भी 2016 का रिकॉर्ड टूटने में मात्र 49 सेंटीमीटर का फासला बचा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि आज यानी शुक्रवार को ये सभी रिकॉर्ड टूट सकते हैं।

बाढ़ के ख़तरे को देखते हुए कई ज़िलों में प्रशासन ने स्कूल बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। खगड़िया में 32 स्कूल 14 अगस्त तक बंद रहेंगे, जबकि वैशाली के राघोपुर में 80 स्कूलों पर ताले लटक गए हैं। पटना के दियारा क्षेत्र के स्कूलों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है।

कटिहार में गंगा और कोसी नदी उफान पर है, इस वजह से कुर्सेला प्रखंड के कई पंचायत के निचले इलाके में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है और इस वजह से लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, बाढ़ पीड़ित अपने डूब रहे आशियाने को छोड़ रहे हैं, बाल बच्चों को लेकर पलायन कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं, पंचायत के कई गांव में बाढ़ का पानी घुसने से मंदिर - स्कूल - रास्ता  और घरों में पानी फेल गया गया है, लोग यातायात के लिए सरकारी नाव और जहां नाव नहीं है वहां ड्रम से निर्मित नाव का सहारा लेकर आवागमन कर अपने जरूरी काम को निपटा रहे हैं, पीड़ित के सामने मवेशी के चारा की समस्या उत्पन्न हो रहा है, कई पक्के के मकानों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है, किसानों का फसल डूब गया है, पीड़ित लोगों ने सरकार और जिला प्रशासन से बाढ़ राहत की मांग करते हुए लोगों के रहने और खाने की समुचित व्यवस्था करने का मांग कर रहे हैं, कटिहार जिले के कई प्रखंड में गंगा और कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से सड़क पुल और रेल पुल पर दबाव बढ़ सकता है, हालांकि बाढ़ की स्थिति पर स्थानीय अधिकारी पूरे नजर बनाए हुए है और फिलहाल बाढ़ ग्रस्त लोगों के आवागमन के लिए सरकारी नाव की व्यवस्था कर प्राथमिकता दी जा रही है।

मौसम का मिज़ाज भी कहर ढा रहा है। शुक्रवार सुबह से ही पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार में आसमान से मूसलाधार बरसात हो रही है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आज करीब 10 ज़िलों में बहुत भारी बारिश होगी। अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में अति भारी वर्षा, जबकि मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, भभुआ और बक्सर में भारी बारिश का अनुमान है। बाक़ी जिलों में रुक-रुक कर झमाझम बारिश जारी रहेगी।

उत्तर बिहार में कई जगहों पर सुबह से ही जलजमाव और नदियों में तेज़ बहाव ने लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। खेत डूबने लगे हैं, सड़कें नालों में तब्दील हो रही हैं, और गांवों में नाव ही अब एकमात्र सहारा बनते दिख रहे हैं। दक्षिण बिहार में भी बादलों की घेराबंदी तेज़ होती जा रही है।

इस भीषण जल संकट ने प्रशासन के साथ-साथ आम जनता की चिंता बढ़ा दी है। गांव-गांव में लोग अपने घरों को ऊँचा करने, पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने और ज़रूरी सामान का इंतज़ाम करने में जुटे हैं। गंगा का यह प्रचंड रूप एक ओर जहां जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहा है, वहीं दूसरी ओर 1976 के उस भयावह बाढ़ की यादें ताज़ा कर रहा है—जब पानी ने शहर के दिल तक दस्तक दी थी।

अगर जलस्तर की यही रफ्तार रही, तो पटना सहित बिहार के कई ज़िलों में आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। गंगा का ये मिज़ाज बताता है कि इस बार का सावन, सिर्फ़ बारिश ही नहीं, बल्कि तबाही का पैग़ाम लेकर आया है।