Bihar News : सावन पूर्णिमा में खाकी छोड़ पीली धोती में दिखे पुलिसकर्मी, यजमान बने थानेदार, जानिए क्या है 160 साल पुरानी परंपरा
Bihar News : ड्यूटी पर खाकी वर्दी में दिखनेवाले पुलिसकर्मी सावन पूर्णिमा के मौके पर धोती कुर्ते में नजर आये. थानेदार जजमान बनकर पूजा कराते रहे. जानिये क्या है पूरा मामला....

GOPALGANJ : बिहार के गोपालगंज जिले में सावन पूर्णिमा का दिन पुलिस विभाग के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता। कुचायकोट थाना परिसर में इस दिन का नज़ारा आम दिनों से बिल्कुल अलग होता है। खाकी वर्दी में दिखने वाले पुलिसकर्मी पीली धोती और कुर्ता पहनकर धार्मिक अनुष्ठान में जुट जाते हैं। थानेदार खुद यजमान की भूमिका निभाते हैं और मां सती की पूजा करते हैं। यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
कुचायकोट थाना की इस परंपरा के पीछे एक मार्मिक कहानी जुड़ी है। किवदंती के अनुसार साल 1865 में कुचायकोट निवासी कवल यादव की अचानक मृत्यु हो गई। उस समय उनकी पत्नी गांव में दही बेचने गई थीं। जब उन्हें यह दुखद समाचार मिला, तो वे तुरंत चिता स्थल पर पहुँचीं। चिता को जलाने की कई कोशिशों के बावजूद आग नहीं लग रही थी।
कहा जाता है कि जब कवल यादव की पत्नी ने अपने पति के शव को गोद में लेकर स्वयं चिता पर बैठ गईं, तो अचानक चिता में आग स्वतः प्रज्वलित हो उठी। इस घटना को सती की घटना माना गया और सावन पूर्णिमा के दिन ही यह चमत्कार हुआ था। कहते हैं, जहां यह घटना हुई, वहीं बाद में थाना भवन का निर्माण हुआ। अंग्रेजों के शासनकाल से ही यहां पुलिस और स्थानीय लोग मिलकर मां सती की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे यह एक अटूट परंपरा में बदल गई।
इस परंपरा के तहत हर साल सावन पूर्णिमा के दिन थाना परिसर में बड़े पैमाने पर हवन, पूजन और भंडारे का आयोजन होता है। थाने के सभी अधिकारी और जवान इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पुलिसकर्मी न केवल पूजा की तैयारियां करते हैं, बल्कि प्रसाद वितरण और भंडारे में भी अपनी सेवा देते हैं। आस-पास के गांवों के लोग भी इस दिन बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। पूजा के दौरान मंत्रोच्चार के बीच मां सती का आह्वान किया जाता है। पुलिसकर्मियों का मानना है कि इस अनुष्ठान से साल भर मां सती की कृपा थाने में तैनात जवानों और अधिकारियों पर बनी रहती है।
गोपालगंज से नमो नारायण की रिपोर्ट