एक CM ऐसा भी! सिफारिश के लिए पहुंचे रिश्तेदार को कर्पूरी ठाकुर ने थमा दिए 50 रूपये, कहा जाकर उस्तरा खरीदिये और पुश्तैनी काम संभालिये...

Bihar Vidhansabha Chunav : जननायक कर्पूरी ठाकुर को उनकी सादगी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाना जाता है. जब एक रिश्तेदार उनके पास गए. तब क्या हुआ.......जानिए पूरा वाकया

रिश्तेदार की पैरवी - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : बिहार की राजनीति में ईमानदारी और सिद्धांतों के प्रतीक रहे जननायक कर्पूरी ठाकुर के जीवन से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। ऐसा ही एक किस्सा उनके मुख्यमंत्री काल का है, जब उन्होंने अपने बहनोई की नौकरी के लिए सिफारिश करने से साफ इनकार कर दिया था, और इसके बजाय उन्हें स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया।

घटना उस समय की है जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे। उनके बहनोई उनसे मिलने पहुंचे और उनसे नौकरी के लिए सिफारिश करने का अनुरोध किया। यह सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए। उन्होंने बिना किसी झिझक के अपनी जेब से 50 रुपये निकाले और अपने बहनोई की हथेली पर रखते हुए कहा, "जाइए, एक उस्तरा खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी काम कीजिए।"

कर्पूरी ठाकुर का यह जवाब उनके बहनोई के लिए अप्रत्याशित था, लेकिन यह उनकी ईमानदारी और भाई-भतीजावाद के प्रति उनकी शून्य-सहिष्णुता को दर्शाता है। वे मानते थे कि योग्यता और कड़ी मेहनत ही सफलता का आधार होनी चाहिए, न कि किसी पद पर बैठे व्यक्ति से व्यक्तिगत संबंध।

यह घटना आज भी एक मिसाल के तौर पर याद की जाती है कि कैसे एक जननेता ने अपने व्यक्तिगत संबंधों से ऊपर उठकर सिद्धांतों और मूल्यों को प्राथमिकता दी। कर्पूरी ठाकुर का यह संदेश वर्तमान और भविष्य के राजनेताओं के लिए एक प्रेरणा है कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है। इस प्रसंग से यह भी स्पष्ट होता है कि कर्पूरी ठाकुर केवल कहने में ही नहीं, बल्कि अपने आचरण में भी समाजवादी मूल्यों और आत्म-निर्भरता के प्रबल समर्थक थे। जिनकी सादगी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें आज भी शिद्दत से याद किया जाता है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।