Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में सबसे 'गरीब' उम्मीदवार कयामुद्दीन अंसारी, जिनके पास न घर न जमीन, खाते में सिर्फ 37 हज़ार रूपये
Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में किस्मत आजमां रहे इस उम्मीदवार के पास 37 हज़ार रूपये हैं. जबकि इनके पास न घर है और न ही कोई जमीन......पढ़िए आगे
PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक ओर जहां एनडीए, महागठबंधन और अन्य दलों के कई प्रत्याशी लाखों और करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, वहीं महागठबंधन में एक ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो अपनी सादगी के लिए चर्चा में हैं। आरा विधानसभा सीट से लेफ्ट पार्टी सीपीआई माले के टिकट पर महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे कयामुद्दीन अंसारी के पास ना तो खुद का घर है और ना ही कोई जमीन। खुद की संपत्ति के नाम पर उनके बैंक खाते और जेब में रखे हुए महज ₹37,000 हैं, जो उन्हें बिहार के सबसे 'गरीब' उम्मीदवारों में से एक बनाते हैं।
आरा सीट से नामांकन के दौरान चुनाव आयोग के सामने पेश किए गए हलफनामे में कयामुद्दीन अंसारी ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। इसके अनुसार, उनके पास ₹20,000 नकद और दो बैंक खातों में ₹17,000 जमा हैं। इसके अलावा, उनके नाम पर कोई दूसरी चल या अचल संपत्ति दर्ज नहीं है। हालांकि, उनकी पत्नी के पास लगभग ₹5 लाख की संपत्ति है, जिसमें ₹3 लाख मूल्य का सोना और ₹1 लाख मूल्य के चांदी के जेवरात शामिल हैं। यह संपत्ति भी उम्मीदवार की तुलना में काफी कम है।
सीपीआई माले के प्रत्याशी कयामुद्दीन अंसारी का दावा है कि भले ही उनके पास धन-दौलत नहीं है, लेकिन उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिलेगा। वे इस चुनाव में पैसे की ताकत को पराजित करने का दम भरते हैं। उनका मुकाबला भाजपा के संजय सिंह टाइगर से होगा। उनका आत्मविश्वास दर्शाता है कि वे चुनावी समर को विचारधारा और जनसमर्थन के आधार पर लड़ रहे हैं, न कि वित्तीय शक्ति के बल पर।
कयामुद्दीन अंसारी सीपीआई माले के टिकट पर आरा से पहले भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा है। 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में भी कयामुद्दीन को भाजपा के अमरेंद्र प्रताप सिंह से कड़े मुकाबले में महज 3,000 वोटों के अंतर से हार मिली थी। यह कम अंतर बताता है कि इस सीट पर उनकी पकड़ मजबूत है और उन्हें अच्छा जनसमर्थन प्राप्त है।
पार्टी ने उन पर फिर से भरोसा जताते हुए 2025 के चुनाव में दोबारा उन्हें टिकट दिया है। एक 'गरीब' उम्मीदवार होने के बावजूद उनका लगातार चुनाव लड़ना और उन्हें पार्टी का समर्थन मिलना दिखाता है कि सीपीआई माले और महागठबंधन इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत मानते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कयामुद्दीन अंसारी अपनी सादगी और जनसमर्थन के दम पर इस बार जीत हासिल कर पाते हैं और बड़े-बड़े करोड़पति उम्मीदवारों को टक्कर दे पाते हैं।